Friday, January 21, 2011

अनजाने पाप की सजा है .......... >>>> संजय कुमार

इतना आसान नहीं किसी को भुला पाना
इतना आसान नहीं किसी के दिल से निकल पाना
भले ही वो प्यार करे न करे हमें
पर इतना आसान नहीं हमारा
उसकी तरफ से यूँ मुंख मोड़ पाना
ये क्या है रब कुछ समझ नहीं आता
शिकायत है उसे की ,
जिंदगी उसने,
मेरी वीरान बर्बाद की
पर फिर भी जिंदगी को उसकी
आदत सी हो गयी है !
वह हर बार मुंह मोड़ता है
और मेरा दिल रौंधता है
वह तो अपने सपने जी चुका है
पहले ही किसी और के संग
और मुझसे जिन्दगी की गाँठ जोड़ी थी उसने
झूंठ के ही साथ
क्रोध तो इस बात का है की
मैंने अपना सब कुछ अर्पित किया उसे जाकर
जो अपना सब कुछ
पहले ही किसी और को अर्पित कर चुका है
अब पहुंची जो उसकी जिंदगी में तो
लग रहा है की
मुझको शायद काटनी
किसी अनजाने पाप की सजा है !

धन्यवाद

11 comments:

  1. यादों पर हमारा बस नहीं चलता है।

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  2. इतना आसान नहीं किसी को भुला पाना
    इतना आसान नहीं किसी के दिल से निकल पाना...
    यथार्थ भावाभिव्यक्ति! इसी तरह लिखते रहिए।

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  3. इतना आसान नहीं किसी को भुला पाना
    इतना आसान नहीं किसी के दिल से निकल पाना
    भले ही वो प्यार करे न करे हमें
    पर इतना आसान नहीं हमारा
    उसकी तरफ से यूँ मुंख मोड़ पाना
    ये क्या है रब कुछ समझ नहीं आता

    मै आपकी इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ !
    सुन्दर एहसासों का खुबसूरत ताना बाना !
    सुन्दर रचना !

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  4. इतना आसान नहीं किसी को भुला पाना
    यथार्थमय सुन्दर पोस्ट

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  5. ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना

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  6. very nice blog dear firend.....

    keep visiting dear friends...
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  7. नाजुक भावनाओं की सुरीली अभिव्यक्ति !

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  8. भावनाओं में पगी कविता

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  9. गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
    http://hamarbilaspur.blogspot.com/

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  10. काश कि आपकी भावना को सहज पाता वो जिसके लिये इतने करून स्वरो की रचना बनी।।

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