आज देश में चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है ! जहाँ देखो जिधर देखो बलात्कार और छेड़खानी की घटनाओं को लेकर आज आम लोगों के दिलो - दिमाग में आक्रोश भरा हुआ है ! और ये आक्रोश तब तक ठंडा नहीं होगा जब तक गुनाहगारों को सजा नहीं मिल जाती ! शायद इस घटना से देश की सरकार , हमारा कानून , लापरवाह अफसर कुछ सबक ले और देश के सविधान में बदलाव लाये क्योंकि आज गुनाहगारों से पास हर कानून का तोड़ है और गुनाहगारों को ऐसा लगता है जैसे कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा ! दिल्ली की घटना कोई पहली घटना नहीं है जिसने देश और इंसानियत को शर्मसार किया हो ( अन्तराष्ट्रीय स्तर ) ... इससे पहले भी हम कई बार शर्मसार हुए हैं ( गुवाहाटी, नोयडा , कोलकाता ) और आगे भी होते रहेंगे क्योंकि इंसान की काम पिपासा अभी तक शांत नहीं हुई है और मरते दम तक शायद शांत होगी भी नहीं क्योंकि वो किसी भी उम्र में बहक जाता है जिसके उदाहरण 15 साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्गों तक के रूप में हम देख चुके हैं ! सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रति बर्ष 24000 से ज्यादा बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं और इनमें भी कुछ जघन्य और दिल दहला देने वाले होते हैं और इससे कहीं ज्यादा जो दर्ज ही नहीं होते , कारण इज्जत खोने बाद इज्जत जाने का डर ..... देश का कोई भी राज्य हो वो आज महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है ! घर के अन्दर , घर के बाहर , रास्ते में , ऑफिस में, मंदिरों में , तंत्र-मन्त्र के नाम पर पिता, भाई , बेटे , चाचा , मामा , दोस्त , रिश्तेदारों द्वारा नारी की आबरू और उसकी अंतरात्मा को नोंचा - खसोटा जा रहा है ! " दिल्ली गैंग रेप " की दुखद घटना के बाद भी दिल्ली और पूरे देश में घटनाएँ बंद नहीं हुई हैं .. आज भी आप देश का कोई भी अखबार उठा कर देख लीजिये , अख़बार भरे पड़े हैं चीत्कार और बलात्कार से ! क्या इस तरह की घटनाएँ कभी बंद होंगी ? क्या आज के विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों की सोच में बदलाव आएगा ? क्या कानून ऐसे लोगों के लिए और ज्यादा सख्त होगा ? ऐसे बहुत से सवाल आज हमारे सामने हैं जिनका जबाब शायद किसी के पास नहीं है ! क्योंकि जबाबों से समस्या का समाधान नहीं निकलता बल्कि उन पर अमल करने से समाधान निकलेगा ! तो फिर अमल किसे करना है ? कौन सुधारेगा इन व्यवस्थाओं को ? क्या हम ? सरकार , आज की नारी शक्ति , बिगड़े युवा , देश की राजनीतिक पार्टियाँ .... आखिर कौन ? आज हर चीज के लिए जिम्मेदार शयद हम ही हैं , क्योंकि आज हर बुराई हम ही से तो है ! आज जितनी तेजी से हमारे अन्दर का इंसान , हमारी इंसानियत अपना दम तोड़ रही है इन सभी का कारण हम ही तो हैं ! क्योंकि हमने कभी भी जीवन के लिए लाभप्रद , समाज के हित में बनाये गये नियमों का पालन सही तरीके से कभी नहीं किया ! हमें ही व्यवस्थाओं को सुधारना होगा , हमें ही अपने बच्चों को अपनी आत्मरक्षा के लिए तैयार करना होंगे उन्हें बुराई से लड़ने के गुण सिखाने होंगे , हमें ही अपने बच्चों में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करना होगा ! हमें अब पहले से कहीं और ज्यादा सतर्क , सचेत और सावधान रहना होगा , हमें अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी क्योंकि देश की सरकार हमेशा अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में व्यस्त रहती है ! क्योंकि हम आम जनता हैं ! और आम जनता की सुनने वाला इस देश में कोई नहीं है ! इस देश का सबसे बड़ा सच तो ये है कि , इस देश में जो हाहाकार कर रहा है वो आम आदमी ही है ! दिल को दहला देने वाली जो घटनाएँ हो रही हैं उनका शिकार , आज का आम आदमी है ! अक्सर बलात्कार की शिकार लड़कियां , महिलाएं सभी आम घरों से होती हैं .... क्या आम आदमी सिर्फ इसीलिए बना है कि उसे जब चाहे जैसे चाहो जिधर से चाहो जी भर लूटो ? शायद ये सब सुनने की हमारी आदत सी हो गयी है ! हमें अपनी आदतों में सुधार करना होगा ! वर्ना हर दिन इस देश में हाहाकार ...... चीत्कार .......... और बलात्कार ऐसे ही होता रहेगा !
गुजारिश :- एक दामिनी नहीं उस जैसी कई दामनियों के लिए हमें मिलकर लड़ना होगा !
धन्यवाद
गुजारिश :- एक दामिनी नहीं उस जैसी कई दामनियों के लिए हमें मिलकर लड़ना होगा !
धन्यवाद
इंसानियत जाग रही है अब!
ReplyDeleteबेहद शर्मनाक और दुखद मुद्दा, ये शर्मशार करने वाले दरिंदें चौर नहीं आदम खोर है इसीलिए इन्हें जेल में नहीं जंजीरों में जकड़ना होगा। बदलेगा वक़्त , बदलेगी सोंच!
ReplyDeletenice
ReplyDeletelage raho lakin ye bharat hai yaha chadrashakher, bhagat singh, raj guru or anya garam dal ke log chahiye . jo inko ander tak bhay bheet kar de...............purano ka ak doha-------------------bhay bin preet na hot bhai. se hi kam chalega. maine suna hai abhi do din me he delhi me 2 balatkar ke ghatna or hui hai. ye narmai ka he nateeza hai .sarkar jin se ye sa ghatnaye hoti hai matlab utpann hoti hai un cheejo ko band kyo nahi karti.khuli sanskriti. gande chanal,ganda sahity,gandi filme,ganda dance in per lagam lagana jaruri hai . or uske bad bhe ye ghatnaye hati hai to aprhadhi ke liye kathor saza ki vyvashtha ho. bhai desh azaad 1947 me hua tha lakin sanvidhan me niyam wahi hai jo angrejo ke samay the. SABSE BADI BAT SANVIDHAAN ME BADLAW BAHUT JARURI HO GAYA HAI . BADLAW NAHI HOGA TO APRADHIYO KE HONSLE YU HEE BULAND HOTE RAHENGE.(SANVIDHAN KI NAYE SIRE SE SAMEEKCHA HONI CHAHIYE).......................bharteey
ReplyDeleteसही लिखा है आपने....
ReplyDeleteसमाज के लिए आत्मावलोकन जरुरी है...
जब तक अपने देश का कानून सख्त नहीं होगा तब तक कुछ नहीं हो सकता किसी भी क्षेत्र में डर होने का भी उतना ही महत्व होता है जितना निडर होने का फिर चाहे परिवार हो, या पाठशाला या फिर देश का कानून इसलिए मुझे ऐसा लगता है की जब तक देश के कानून का दर यहाँ के नागरिकों के दिलों में नहीं बसेगा तब तक ऐसी घटनायें होती ही रहेंगी। मैंने भी ऐसा ही कुछ लिखा है समय मिले आपको कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/2013/01/blog-post.html
जब सारी घटनायें सामने आ रही हैं तब हमें उनकी संख्या पर आश्चर्य हो रहा है।
ReplyDeleteसख्त और त्वरित न्याय ही घटनाओं में कमी ला सकती है,,,,
ReplyDeleterecent post: किस्मत हिन्दुस्तान की,