फूल बनने से पूर्व ही
बिखर जातीं हैं कलियाँ ,
मिल जाते हैं रावण
हर घर , हर गलियां
ना जाने कितनी लड़कियों को
पलकों से ढँक आँखें ,
रोते देख लो ,
झेंपती, उस मासूम को
माँ की गोद में लिपटी
सिसकती देख लो !
झूठी इज्जत की चादर से
घर को क्यों ढंकती हो ?
अन्यायी , निर्दयी समाज से
क्यों डरती हो ?
विश्वास और सुरक्षा ही
छीन ली गयी हो तब
क्या खोने से डरती हो ?
करो संचय अपने में
नयी शक्ति का ,
करो होंसले बुलंद , आवाज बुलंद
करो विरोध इसका
राम नहीं आयेंगे ,
है इन्तजार बेकार
करना होगा तुम्हें ही
रावण का संहार !
तब ही बच पाएंगी
बगीचे की कलियाँ ,
बन पाएंगी सुगंध बिखेरती
फूल , तारो ताजा
करो होंसले बुलंद .............. करो होंसले बुलंद
( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )
धन्यवाद
मिल जाते हैं रावण
हर घर , हर गलियां
ना जाने कितनी लड़कियों को
पलकों से ढँक आँखें ,
रोते देख लो ,
झेंपती, उस मासूम को
माँ की गोद में लिपटी
सिसकती देख लो !
झूठी इज्जत की चादर से
घर को क्यों ढंकती हो ?
अन्यायी , निर्दयी समाज से
क्यों डरती हो ?
विश्वास और सुरक्षा ही
छीन ली गयी हो तब
क्या खोने से डरती हो ?
करो संचय अपने में
नयी शक्ति का ,
करो होंसले बुलंद , आवाज बुलंद
करो विरोध इसका
राम नहीं आयेंगे ,
है इन्तजार बेकार
करना होगा तुम्हें ही
रावण का संहार !
तब ही बच पाएंगी
बगीचे की कलियाँ ,
बन पाएंगी सुगंध बिखेरती
फूल , तारो ताजा
करो होंसले बुलंद .............. करो होंसले बुलंद
( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )
धन्यवाद
शानदार लेखन,
ReplyDeleteजारी रहिये,
बधाई !!!
बहुत अच्छे।
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रेरक प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleterecent post : नववर्ष की बधाई
सुन्दर प्रेरणादायी रचना..
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteहो विरोध इस पशु प्रवृत्ति का।
ReplyDeleteकुशासन खत्म करने के लिए खुद ही आगे आना होगा....
ReplyDeleteसत्य वचन
ReplyDeleteसत्य वचन
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