Friday, April 1, 2011
प्रिय साथियों , ये मेरी अंतिम पोस्ट है ! हो सके तो मुझे माफ़ करना ...... >>> संजय कुमार
प्रिय ब्लोगर साथियों मैं पिछले १ बर्ष से लिख रहा हूँ ! मैंने क्या लिखा और क्या नहीं लिखा ये तो आप सभी अच्छे से जानते हैं ! किन्तु अब मेरे पास लिखने को कुछ भी नहीं बचा है ! मुझे लगता है कि , मैं अब तक सब कुछ लिख चुका हूँ जो मुझे आता था या जो मैंने आप लोगों से सीखा था ! मैंने आज तक बहुत कुछ लिखा और ऐसा जो कुछ लोगों को बहुत अच्छा लगा और कुछ लोगों को कुछ खास नहीं लगा , फिर भी मैं बराबर लिखता चला गया वो भी बिना रुके बिना थके ! कभी अपने व्यंग्य से आप लोगों को हँसाने की कोशिश की तो कभी अपने विचारों से आप लोगों को अवगत कराया ! कई बार अपने सन्देश आप लोगों तक पहुंचाए , वो सन्देश जो इंसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ! कभी भ्रष्टाचार पर लिखा तो कभी राजनीति पर , कभी नेता मेरे निशाने पर रहे तो कभी अभिनेता , कभी बच्चों पर लिखा तो कभी माता-पिता पर , कभी बच्चों की गलतियाँ और उनकी स्थिती को बताया तो कभी आज के युग में माँ-बाप की दयनीय स्थिती को बताया , कभी "कुत्तों" और इंसान के बीच अंतर को मुद्दा बनाया तो कभी गरीबी को , कभी संस्कारों की बात की जिन पर आज विदेशी संस्कार भरी पड़ते दिखे , तो कभी आधुनिकता को लेकर आप लोगों को आगाह किया ! कभी प्रिय पत्नि गार्गी की कवितायेँ आप लोगों तक पहुंचाई तो कभी अपनी कवितायेँ और लघु कथा ! यह सब आप लोगों ने पसंद किया और आप लोगों ने मेरे लेखन पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से मेरा मार्गदर्शन किया जिसे में कभी भूल नहीं सकता ! कभी मुझे लगा की मैंने अच्छा लिखा किन्तु मुझे ज्यादा टिप्पणीयाँ नहीं मिली ! आप लोगों के कारण मेरी कई पोस्ट चर्चामंच पर लगायी गयीं जो किसी भी छोटे-मोटे ब्लोगर के लिए फक्र की बात है , तो कुछ लेख अख़बार और पत्रिकाओं में भी छपे जिन्हें देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई ! सब आप लोगों के प्रेम और स्नेह के कारण , किन्तु अब मेरे पास कोई मुद्दा नहीं बचा जिस पर मैं कुछ लिख सकूँ ! अब मैं मुद्दे और विषय ढून्ढ-ढून्ढ कर थक गया हूँ किन्तु विषय नहीं मिल रहे है ! मैंने कई जगह जाकर विषय तलाशे , कभी विषय की तलाश में यहाँ भटका तो कभी वहां , किन्तु विषय हाँथ नहीं लगे , कभी पागलों की तरह गुमसुम और वैठे - वैठे सोचते रहना , अखबारों और पत्रिकाओं को भूखों की तरह चाटना , तो कभी पागलों और भिखारियों को पागलों की तरह देखना तो कभी होटलों पर काम करने बाले बच्चों की जिंदगी के बारे में जानना , कभी मंदिरों पर धर्म प्रेमी बंधुओं की जगह मजनुओं को देखना और पता नहीं क्या क्या किया इस लेखन के लिए विषय तलाशने में ! कभी बादलों को देखा , सूरज , चाँद , तारे , प्रक्रति , नदियाँ , पहाड़ सब कुछ देखा , कभी चिड़ियों की चहचहाहट पर लिखने की कोशिश की तो कभी कौवे की कांव-कांव पर , किन्तु सब कुछ व्यर्थ , मैं क्या ? सोचता हूँ मुझे इस लेखन से आखिर क्या मिला ? लेखन से मैंने कौन से झंडे गाढ़ दिए कौन सा ऑस्कर मिल गया ! आखिर क्या मिला मुझे ? मन की संतुष्टि , आत्मा को चैन , अपने दिल में छुपे गुस्से को बाहर किया या फिर वगैरह - वगैरह , ये सब कुछ किताबों और फिल्मों में अच्छा लगता है किन्तु वास्तविक जीवन में नहीं ! लेकिन में अब लिखना नहीं चाहता हो सके तो मुझ अनाड़ी , नासमझ और पागल इंसान को पागल और बेबकुफ़ समझकर माफ़ कर देना ! अब मेरे लेखन को आप लोग और नहीं पढ़ सकेंगे............. मुझे माफ़ करना इतना लिखने के बाद मुझे एक गाना याद आता है ! आप सभी लोगों को भी आता होगा ........ अप्रैल फूल बनाया ,क्यों आपको गुस्सा आया , इसमें मेरा क्या कसूर .......... जमाने का कसूर जिसने ये दस्तूर बनाया ! आज मैंने भी आपको .......अप्रैल फूल बनाया ( 1st April ) ( मुर्ख - दिवस ) की मूर्खतापूर्ण बधाई धन्यवाद
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आपको भी बधाई
ReplyDeleteबड़ा अच्छा हुआ !
ReplyDeleteएक ब्लोगर से जान छूटी ....
TATA बाय बाय...
ReplyDeleteप्रयास अच्छा रहा...
ReplyDeleteलेकिन ब्लॉगर्स भी चतुर सुजान है...
आपको भी बधाई.
हम्म!
ReplyDeleteअच्छा प्रयास था।
:)
ReplyDeleteबनते रहें, बनाते रहें ।
ReplyDeleteवाह वाह ..क्या अंदाज है अप्रैल फूल का.... बहुत नया ...:))
ReplyDeleteWOW !!!!
ReplyDeleteIT'S A GREAT STYLE .....
UNIQUE STYLE .....
हार्दिक शुभकामनायें।
आपने आज हिम्मत कैसे की अप्रैल फूल बनाने की...
ReplyDeleteहम पहले से कम थे क्या :)
ठीक है ..फिर अगले वर्ष इसी दिन मिलेंगे !
ReplyDeleteबच गये अन्ततः।
ReplyDeleteये हमारी आखिरी टिप्पणी है।
ReplyDeleteक्या अंदाज है
ReplyDelete.........मूर्खता दिवस पर बधाइयाँ
अच्छा लगा आपका एप्रिल फूल.
ReplyDeleteअच्छा हुआ लिखना बंद कर दिया आपकी यह पोस्ट अगर दो अप्रैल को आती तो क्या होता ? हा हा हा
ReplyDeleteतो ये बात है
ReplyDeleteसंजय कुमर जी आप के ब्लॉग पे पहली बार आया था
ReplyDeleteब्लॉग पर आकर बड़ा दुःख हुआ के आप ब्लोगिंग पर
आखरी बार लिख रहे है .............................................???
आपका फर्स्ट अप्रेल बहुत ही सुन्दर लगा
मेरी और से धन्यवाद
हाय हाय अमां संजय भाई , हम तो दुई अप्रैल को पहुंचे लेकिन फ़िर भी मूरख तो बनिए गए जी । बहुत बढिया लगाए हैं पोस्ट जी
ReplyDeleteअच्छा लगा आपका एप्रिल फूल|
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|