Wednesday, February 27, 2013

भटकाव ...........>>> गार्गी की कलम से

प्रकृति की गोद में अठखेलियाँ करना
हमारी हर इक ख़ुशी पर
वो भी मुस्कुरा जाये
हमारा हर इक गम-दर्द ,
उसका खुदका हो जैसे ,
उस पर हक यूँ हो
जैसे खुद पर हुआ करता है
ये सब देकर भी
कौन होगा जो खुद
ये सब पाना ना चाहेगा
इन्तजार की हद तक ............
इसके बाद
दो आत्मा एक जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
दो आत्मा दो जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
मर चुकी होती है
रिश्तों की आत्मा
रह जाते हैं सिर्फ
" जिस्म "
जो रिश्तों का मोहताज रहना नहीं चाहता
सिर्फ
कहीं से भी
किसी से भी
सहानुभूति चाहता है
कहने का अर्थ
सिर्फ इतना है कि
भटके हुए से एक होने की
उम्मीद लगाना
यानि
खुद भटकना है !

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से  )

धन्यवाद

Friday, February 22, 2013

" जीवन की आपाधापी " लेखन को हुए तीन साल .....>>> संजय कुमार

वैसे तो जीवन के ३० से ज्यादा साल " जीवन की आपाधापी " में ही कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला और अब  देखते ही देखते आज मेरे ब्लॉग लेखन को भी तीन बर्ष पूर्ण हो गए हैं ! ये मेरे लिए ख़ुशी का मौका है की मैं तीन सालों में ३०६ लेख लिख पाया जिसमें मेरी पत्नि " गार्गी " की ढेर सारी कवितायेँ और रचनाएँ भी शामिल हैं  और जिसके लिए मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ ! मैं आप सभी का तहेदिल से धन्यवाद करता हूँ की आप सभी ने अपना कीमती वक़्त देकर मेरे ब्लॉग लेखन को पढ़ा उसकी सराहना की और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से आज तक मेरा मार्ग-दर्शन करते आये , मेरा उत्साहवर्धन किया और आगे लिखने की प्रेरणा दी और यही चीज मुझे आगे लिखने के लिए प्रेरित करती रही ! पिछले महीने १२ जनवरी " युवा दिवस " पर जब मैंने अपनी ३०० बी पोस्ट लिखी वो  मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि मैं ना तो कोई लेखक हूँ और ना ही कवि और साहित्यकार इसलिए मुझे अपने आप पर विश्वास नहीं हुआ कि मैं इतनी सारी पोस्टें कैसे लिख गया ! तीन साल पहले  मैंने ना तो कभी लेखन के बारे में सोचा था और ना ही दूर-दूर तक इससे मेरा कोई सम्बन्ध था ! ना तो मुझे पढ़ने -लिखने का कोई शौक था और ना ही किसी साहित्य की कोई जानकारी क्योंकि मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का कोई साहित्य पढ़ा ही नहीं और ना ही मुझे इसका कोई ज्ञान था और  आज भी यही स्थिति है ! आप मेरे लेखन में यह अनुभव कर सकते हैं कि , मैं जिन शब्दों का प्रयोग करता हूँ वो बहुत आम हैं क्योंकि  मेरे पास कोई साहित्यिक भाषा नहीं है ! एक आम आदमी के जीवन को देखते हुए उसकी दिनचर्या को देखते हुए उसके जीवन में घटने वाली घटनाओं , परिशानियों , समस्याओं , सुख-दुःख आदि से प्रभावित  होकर ही मैंने अपने ब्लॉग का नाम " जीवन की आपाधापी " रखा और ये मेरे ब्लॉग पर आज तक लिखे गए सभी लेखों से मेल भी खाता है ! मंहगाई ,भ्रष्टाचार , बेईमानी , बेरोजगारी , आतंकवाद , नक्सलवाद , संस्कारों का पतन , पारिवारिक विघटन से पीड़ित आज का आम आदमी ! संस्कारों से पूर्ण  , पारिवारिक बंधनों में बंधा आज का आम आदमी ! एक - एक रूपए के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाला आम आदमी ! अपने हक के लिए लड़ने वाला , पारिवारिक विघटन  को रोकने वाला , बच्चों में खोते हुए संस्कारों को  हर संभव जीवित रखने के लिए प्रयासरत एक आम आदमी ! भ्रष्ट राजनीति का शिकार , धर्म-मजहब के नाम पर ठगा जाने वाला , दूसरों के फायदे के लिए मोहरा बनता आज का आम इंसान ! ऐसी विकट परिस्थितियों में भी एक आम आदमी अपने आप को हर मुसीबत से बचाते  हुए अपना और अपने परिवार के भरण-पोषण और जीवन-यापन में लगा हुआ है ! और एक आम इंसान के लिए यही " जीवन की आपाधापी " है ! 
मैं एक आम इंसान होकर जो देखता हूँ , सुनता हूँ और महसूस करता हूँ , अपने आस-पास होने वाली घटनाओं से जब भी प्रभावित होता हूँ तो वो सारे अनुभव आप सभी को अपने ब्लॉग के माध्यम से बताता हूँ ! मेरी कोशिश हमेशा से रही है कि मैं आप सभी के लिए कुछ अच्छा लिखूं  ! आगे जीवन में मुझे बहुत कुछ करना है आगे बढ़ना है ! जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और परेशनियों से लड़ने के लिए अपने आपको तैयार करना है ! अब थोडा सा समय कम मिलता है फिर भी मैं यूँ ही लिखता रहूँगा क्योंकि लिखना अब अच्छा लगता है ! जब तक मुझे आप सभी साथियों  का मार्ग-दर्शन ,स्नेह एवं प्यार मिलता रहेगा , तो मेरा होंसला भी लिखने के लिए बढ़ता रहेगा और आगे भी कुछ अच्छा लिखने की कोशिश करता रहूँगा !

एक बार फिर से अपने ब्लॉग के तीन बर्ष पूर्ण होने पर मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ !

धन्यवाद 

Thursday, February 14, 2013

प्रेम का इजहार जरुरी है ..... ( वेलेनटाईन डे ) .....>>> संजय कुमार


सभी युवा साथियों को "  वेलेनटाईन डे " की ढेरों-अनेकों शुभ -कामनाएं ! १४ फरवरी का दिन हमारे सभी युवा साथियों के लिए प्रेम का दिन है ...... अंग्रेज चले गए और ये दिन हमारे लिए छोड़ गए ... क्या वाकई में हमें ऐसे किसी दिन की जरुरत है जब हम अपनों से अपने प्रेम का इजहार करें !  वैसे दिन तो सभी प्रेम के होते हैं , क्योंकि हम प्रतिदिन किसी ना किसी का प्रेम , अपनापन और स्नेह पाते हैं और प्रेम भी करते हैं ! लेकिन इस दिन को हम लोग सिर्फ युवाओं का दिन ही मानते हैं ! कोई लुक-छिपकर तो कोई खुलकर इस दिन प्रेम का इजहार करने की कोशिश करता है या इजहार करता है ! सच कहा जाय तो ये दिन हमारे देश के " कुंवारे "  युवाओं का ही है ! आज देश के सभी गिफ्ट सेंटर , माल्स , रेस्टोरेंट युवाओं के लिए दुल्हन की तरह सज चुके हैं ! दूसरी ओर कुछ संगठन युवाओं पर पैनी नजर रखे हुए हैं , उन्हें प्रेमालाप करते हुए रंगे हांथों पकड़ पर उनका मुंह काला करने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं , फिर भले ही उनमें से कई इजहारे मुहब्बत कर मैदान में विरोध करने आये हों ! खैर मुहब्बत के दुश्मन तो सदियों  से रहे हैं ,आज भी हैं और आगे भी रहेंगे ! क्योंकि हमारे देश में यदि प्रेम-कहानी का अंत शादी हुई तो अच्छा वर्ना हमारे यहाँ प्रेम को पाप समझा जाता है ! आज भी मुहब्बत को ऊँच - नीच का दर्जा दिया जाता है ! आज भी " ऑनर किलिंग " के मामले हमें , हमारे समाज का कड़वा सच दिखाते हैं ! आज की इस मतलबी और स्वार्थी दुनिया में , अगर प्रेम जिन्दा है तो उसका अहसास हमें होना जरुरी है वर्ना हम इंसान नहीं मात्र हाड़-मांस के चलते फिरते पुतले हैं ! एक यही भावना हमें एक-दुसरे से जोड़ कर रखती है ! मैं अपने देश के सभी युवाओं को शुभकामनाएं देता हूँ की उनको उनका सच्चा प्रेम अवश्य मिले ! किन्तु मैं एक गुजारिश अपने सभी युवा साथियों से और करना चाहता हूँ कि , आज जितना  जोश आप अपने प्रेम का इजहार करने के लिए दिखा रहे हैं उतना ही जोश आप अपने परिवार,समाज और अपने देश के लिए भी दिखाएँ ! आज प्रकृति भी आपसे प्रेम का इजहार चाहती है और वो भी चाहती है की आप थोडा सा प्रेम उससे भी करलें , आप थोडा सा प्रेम उससे करेंगे वो आपको उससे कहीं ज्यादा उस प्रेम का प्रतिफल देगी ! आज  आपका समाज आपसे अपने लिए प्रेम का इजहार मांग रहा है ! समाज चाहता है आप समाज मैं फैली हुई बुराइयों को दूर करने में  समाज का सहयोग करें ! दहेज़ प्रथा , रूडी वादी परम्पराएँ जिस तरह आज भी हमारे बीच विद्यमान है उन्हें खत्म करने में आप अपना योगदान दें ! इस देश को भी आपसे बहुत उम्मीदें हैं आज जो देश की स्थिति है वो बहुत ही ख़राब  है ! अगर इस देश का युवा जाग्रत होता तो देश का नाम बड़े-बड़े घोटाले , भ्रष्टाचार , मानवता को शर्मसार करने वाले कार्य ना होते , हमारी सभ्यता और संस्कृति का पतन ना होता ! युवा इस देश का भविष्य हैं ! ये देश और समाज आपका है ! आप ही इस देश का वर्तमान हो और आप ही भविष्य ! आप अपने प्रेम का इजहार अपने परिवार से भी कीजिये , क्योंकि आपका परिवार भी आपको बहुत प्रेम करता है ! माता-पिता , भाई-बहन , दोस्त यार ! 

युवाओं आपसे गुजारिश है आप परिवार के सभी सदस्यों को  "  वेलेनटाईन डे " पर शुभकामनाएं दीजिये ! ये प्रेम के इजहार का दिन है ! तो इजहार अवश्य कीजिये ...............

धन्यवाद 

Tuesday, February 5, 2013

कौन कहता है कि , मेंहगाई है ...... गौर फरमाइये सब कुछ मुफ्त है .....>>> संजय कुमार

माना हमने कि , मेंहगाई ने एक आम आदमी की कमर ही तोड़ दी हो ....... फिर भी बाम मलिए और काम पर चलिए ! माना हमने कि , डीजल- पेट्रोल मँहगा है ..... अजी साईकल चलाइए सेहत बनाइये ........ माना जमीन - फ्लैट्स के दाम आसमान छू रहे हैं  ..... फिर भी अपने दिलों में कम से कम अपनों के लिए तो घर बनाइये ..... माना हमने कि , बंगला और गाड़ी भले ही पैसे से आयें , लेकिन जिंदगी की जो अनमोल और मुफ्त की चीजें हैं उन्हें तो इस भीड़-भाड़ भरी दुनिया में ना खोने दें ! प्रेम, हंसी , संस्कार , अपनापन , जादू की झप्पी , जरा गौर फरमाइए सब कुछ आपके लिए मुफ्त ही तो है ! क्या आप अपने दिल पर हाँथ रखकर सच बोलेंगे की आपके जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है ...? जीवन को ख़ुशी देने वाला सबसे अनमोल और आनंददायी क्या है ...? आप कहेंगे हमें हंसी सबसे प्यारी है ! आप कहेंगे की हमें दोस्ती सबसे प्यारी है ! आप कहेंगे बच्चों की ख़ुशी से बढकर हमारे लिए कुछ नहीं ! आप कहेंगे जब जीवन में अपनों का साथ होता है , उनके साथ गुजारा वक़्त हमारे लिए जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी होती है ! अपनी और अपनों की पुरानी  तस्वीरें देखकर मन का खुश होना ! समंदर के किनारे अपने जीवनसाथी के हांथों में हाँथ डालकर साथ - साथ चलना ! एक हंसी पर हजारों मर मिटने वाले भी देखे हैं ! दोस्तों की सफलता पर खुश होते देखा है ! और ये सब कहीं से खरीदा नहीं जाता ये सब हमारे लिए मुफ्त है ! " प्रकृति "की गोद में सिर रखकर सोने में बड़ा ही आनंद आता है ! प्रकृति द्वारा दिए गए बेशकीमती उपहार हमारे लिए मुफ्त हैं ! चिड़ियों की चह- चहाहट , कोयल की कुहू भी मन को ख़ुशी देती है ! बसंत की हवाएं मन को प्रफुल्लित कर देती हैं ! बारिस की बूँदें मन को गुदगुदा जाती हैं ! ऐसे पल ऐसी  खुशियाँ हमारे जीवन में क्या मायने रखती हैं , हम जानते हैं ! इन्हीं को कहते हैं अनमोल खुशियाँ  जिनके लिए हमें एक पाई का भी भुगतान नहीं करना पड़ता , सब कुछ मुफ्त में ही मिलता है ! जब हम दुखी होते हैं तो बड़ों का प्यार से सिर पर हाँथ रख देना ही बहुत बड़ी ख़ुशी होती है ! मन को खुश करने के लिए संगीत भी हमें ख़ुशी देता है !  
हम आज भले ही पैसे के पीछे अंधे होकर दौड़ रहे हों ..... पैसे को  खुशियों का नाम दे रहे हों फिर भी पैसा आपको बनावटी खुशियाँ ही देगा ! जब हमारे जीवन में जटिल समय आता है , हम चारों ओर मुसीबत और परेशानियों से घिरे होते हैं तो यहीं चीजें हमें सहारा देती हैं और कहीं ना कहीं हम इन परेशानियों से उबर  पाते हैं उनसे लड़ने की ताकत हमारे अन्दर आती है ! जब हम तनावपूर्ण स्थिति में होते हैं तो ऐसे समय में हमें इन चीजों की अधिक आवश्यकता होती है ! खुशियाँ आपके आस-पास ही हैं बस उन पर थोडा सा गौर फरमाइये ! इस कलियुगी दुनिया में कोई भी आपका साथ दे या ना दे किन्तु प्रकृति हमेशा आपके साथ है ! जरुरत है तो बस इतनी सी कि , आप भी इन अनमोल और मुफ्त की चीजों को अपना समय , अपनापन , प्रेम और सम्मान दीजिये ! सच कहता हूँ आपके लाखों- करोड़ों एक तरफ और ये मुफ्त की अनमोल खुशियाँ एक तरफ ! 
शायद आज हम सभी को इन खुशियों की दरकार है ! इस मेंहगाई की दुनिया में , रूपए - पैसे की दुनिया में , खुशियाँ हमें मुफ्त की चीजों से ही मिलती हैं !

धन्यवाद    

Saturday, February 2, 2013

" गाँधी जी " के प्रति हमारा नजरिया .......>>> संजय कुमार

हर इंसान के जीवन  जीने के अपने अपने सिद्धांत होते हैं ! कुछ लोग जीवन के लिए बनाये गए लाभप्रद सिद्धांत और नियमों का पालन करते हैं तो  कुछ लोग उनका उलंघन भी करते हैं ! हर इंसान का सोचने समझने का नजरिया अलग- अलग होता है ! एक इंसान किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरा होता है ! यहाँ हम " श्री राम " का अनुशरण भी करते हैं तो कई लोग " रावण "को भी अच्छा मानते हैं ! हम यहाँ ...  " रानी लक्ष्मीबाई " भगत सिंह " को भी पूजते हैं और " महात्मा गाँधी जी " को भी ....... आज हम युवाओं से  " भगत सिंह " जैसा देशभक्त बनने की उम्मीद रखते हैं  तो दूसरी ओर " गांधीजी " के अहिंसात्मक गुण को अपनाने की सलाह भी देते हैं ..... फिर भी  लोग क्या चुनते हैं ये उनका अपना - अपना नजरिया होता है ! " गांधीजी " के प्रति आज का इंसान क्या सोचता है , उनको किस तरह देखता है, उनके द्वारा किये गए कार्यों से क्या शिक्षा लेता है , उस पर मैं भी अपने कुछ विचार व्यक्त करना चाहता हूँ ! हर व्यक्ति " गांधीजी " को अपने - अपने नजरिये से देखता है ! कोई उन्हें अपना आदर्श मानता है और उन पर चलने की कोशिश भी करता है , कोई उन्हें चौराहे के बीच में खड़ी सिर्फ एक मूर्ति के रूप में देखता है ,  कई सरकारी अधिकारीयों के लिए " गाँधी जी " के प्रति उनकी सोच और उनका नजरिया उनके ऑफिस में टंगी एक बेजुबान तस्वीर के रूप में , गरीबों के लिए कोई नई योजना और नई  स्कीम के रूप में , अमीरों को " गांधीजी " सिर्फ नोट ( भारतीय मुद्रा ) में नजर आते हैं ! स्कूल के बच्चों के लिए सिर्फ उनकी कोर्स की किताबों में ...... कुछ लोग उन्हें सिर्फ 2 अक्टूबर को याद करते हैं ..... उस  दिन कुछ लोग खुश होते हैं ( आज छुट्टी का दिन है , आराम का दिन है ) ..... कुछ लोग दुखी भी होते हैं ( क्योंकि देश की सभी मधुशालाएँ बंद होती हैं ).... सभी का अपना अपना नजरिया है ! कुछ ग्रामीण इस लिए खुश होते हैं क्योंकि उनके गाँव में बनने वाली सड़क का नाम " गांधीजी " के नाम पर रखा जाता है ! लगभग हर बड़े शहर में आपको M G Road भी मिल जायेगा !  
समझ नहीं आता की " अहिंसा " के पुजारी का चित्र भारतीय मुद्रा पर क्यों छापा जाता है ....? क्योंकि आज हिंसा का कारण ये रुपया-पैसा ही है ! जहाँ आज भाई , भाई का गला काट रहा है ..... जहाँ चंद रुपयों के लिए एक पिता अपनी ही बेटी का सौदा कर बेच देता है .... जहाँ चारों ओर रूपये पैसे के लिए रक्तपात मच हुआ है ! तो क्या इस मुद्रा के लिए होते रक्त पात और हिंसा से  " गांधीजी " की आत्मा को शांति मिलती होगी ....? गांधीजी ने तीन बंदरों को लेते हुए अपना सन्देश आम जन तक पहुँचाया था कि , " बुरा मत देखो " बुरा मत बोलो " बुरा मत सुनो " ....... इस सन्देश पर भी  आज के हालातों को देखते हुए कई लोगों का अपना अपना नजरिया है , और ये आज हो भी रहा है ...... " अगर किसी के साथ बुरा हो रहा हो तो , आप अपनी आँखें बंद कर लीजिये " यदि आपके साथ कुछ गलत हो रहा हो तो , आप उसका विरोध करने के लिए अपना मुंह मत खोलिए "  अपने मन की आवाज कभी ना सुने " .... ये सभी बातें आज का कड़वा सच हैं !   
अभी दो दिन पूर्व " गांधीजी " की पुण्यतिथि पर हमारे " फेसबुक " मित्रों ने अपनी अपनी तरह से उन्हें याद किया ...... कुछ ने लिखा .. " मुझे गांधीजी के पास जाना है , रिजर्वेशन नहीं मिल रहा , उस पर किसी ने जबाब दिया " नाथूराम गोडसे से संपर्क करें " ... किसी ने लिखा " रघुपति राघव राजा राम - देश बचा गए नाथूराम " 
आज देश की स्थिति बहुत ख़राब है ..... चूँकि हमने आजाद भारत में जन्म लिया इसलिए हमारे पूर्वजों द्वारा किये गए कार्यों  पर हम सिर्फ अपना नजरिया ही पेश कर सकते हैं ! क्या सही है , क्या गलत है , ये बात हम जानते ही नहीं ..... फिर हम हर बात पर अपना नजरिया ..... अपनी राय देते रहते हैं ! 
( आपका क्या नजरिया है ....... आप क्या कहते हैं )

धन्यवाद