Sunday, November 20, 2011

किस्मत का तो यही फ़साना है .....>>> संजय कुमार

हँसना है कभी रोना है
खोना है कभी पाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
समझा है यही जाना है
हर लम्हा टल जाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
कोई कहे चाँदी कोई कहे सोना
इन्सां है मिटटी का खिलौना
जीवन तो है इक सफ़र
कब खत्म हो क्या खबर
इक पल में यहाँ जीना है
दूजे पल मर जाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
कभी है संवरना कभी है बिखरना
कभी तो है मिलना कभी है बिछड़ना
रिश्ते है क्यों अजनबी
दुस्वार है जिंदगी
उलझन के धागों को
जीवन भर सुलझाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
आते हैं उजाले जाते हैं अँधेरे
आती हैं फिजायें जातीं हैं बहारें
किस्मत यही सब करेगी
होनी तो होके रहेगी
लिखा है जो होना है
बाकी तो सब बहाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
देखो ना ये किस्मत की मजबूरी
दिल नहीं चाहे कहना जरूरी
कैसे कहें क्या हुआ
कहना भी है इक सजा
अश्कों के इन समंदर पे
लब्जों को डूब जाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है ! किस्मत का तो यही फ़साना है !

(यह सभी पंक्तियाँ एक फिल्म के गीत से ली गयीं हैं )

धन्यवाद

7 comments:

  1. बहुत ही सुंदर कविता |

    ReplyDelete
  2. ऐसे ही परिभाषित जीवन।

    ReplyDelete
  3. शानदार पंक्तियाँ ..

    ReplyDelete
  4. कोई कहे चाँदी कोई कहे सोना
    इन्सां है मिटटी का खिलौना
    जीवन तो है इक सफ़र
    कब खत्म हो क्या खबर
    इक पल में यहाँ जीना है
    दूजे पल मर जाना है
    Bahut sundar rachana!

    ReplyDelete
  5. अश्कों के समंदर में लफ्जों को डूब जाना है... बहुत खूब..

    ReplyDelete
  6. संजय जी बहुत सुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं |

    ReplyDelete
  7. बस जीना है ,जीते जाना है ,फिर किसी एक पल ये सब कुछ लुट जाना है .दोनों रचनाएं भाव जगत का खुलासा करतीं हैं .किताबी नहीं हैं सचेत करतीं हैं .

    ReplyDelete