Saturday, June 25, 2011

और ... " बाबाजी " बाल-बाल बच गए .... ( लेकिन ) ...>>> संजय कुमार

अभी कुछ दिनों पहले टेलीविजन पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ बार - बार आ रही थी ! जिसके अनुसार, भ्रष्टाचार के खिलाफ , भ्रष्टाचारी नेताओं के खिलाफ ...." बाबाजी " की आम सभा ( चुनावी आम सभा कह सकते हैं ) में पुलिस ने बिस्फोट कर दिया है ! अरे भई ....... " आंसू गैस के गोलों के धमाके " पुलिस वालों की आवाजें " पकड़ो - मारो -पीटो - छोड़ना मत- डंडे बरसाओ, इस तरह की आवाजें ......... अचानक जैसे सभा में दो- चार बम फट गए हों ! चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था ! हर तरफ से चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थी ! लोगों को समझ में नहीं आ रहा था की ये सब अचानक क्या और कैसे हो गया ? सभा में भाषण के दौरान " बाबाजी " तो कह रहे थे की देश से आतंकवाद को हम मिटा देंगे जब हम सरकार में आयेंगे ! आम जनता की रक्षा करने का वादा जो सरकार ने हमसे किया है ! यहाँ बाबाजी सरकार का वादा याद कर रहे थे और अचानक सभा में बिस्फोट सा माहौल उत्पन्न हो गया और भगदड़, चारों तरफ से आम जनता की चीख-पुकार , कोई बचाओ - बचाओ तो कोई भागो -भागो कह रहा था , तो कहीं से आवाज आ रही थी "अरे बाबाजी कहाँ गए उन्हें तो कुछ नहीं हुआ " दूसरी ओर से आवाज आई " अरे घबड़ाने की जरुरत नहीं है बाबाजी तो अपनी बेशभूषा बदल कर अपने सिर पर अपनी खडाऊं रख अपनी बुलेट प्रूफ कार में बैठकर सकुशल अपने घर पहुँच गए हैं ! सभा की जगह कितने लोग घायल हुए ? कितने लोग मारे गए ? अभी तक यह पता नहीं चल पाया ! किन्तु एक अच्छी खबर है इस देश की जनता के लिए , वो ये है कि , इस लाठीचार्ज में हमारे माननीय, आदरणीय, पूज्यनीय बाबाजी बाल-बाल बच गए ! पुलिस उनके बहुत करीब आ गयी थी , उसके बावजूद उनको खरोंच तक नहीं आई ! बाबाजी ने अपनी सूझबूझ से अपनी जान बचा ली ! यह तो बही बात हो गयी " जाको राखे साईयाँ - मार सके ना कोय " शायद यही कहावत चरितार्थ होती है ऐसी स्थिति में ! खैर ये तो होना ही था बाबाजी को तो बचना ही था भला बाबाजी को कौन मार सकता है ? क्योंकि आज के बाबा - साधू - संत , नेता जैसी महान आत्माएं तो लगता है अमृत पीकर पैदा हुई हैं ! अगर बाबाजी मारे जाते या उनके साथ कुछ गलत होता तो भई आज देश की राजनीति और देश में तो जैसे भूचाल ही आ जाता ! क्योंकि बाबाजी तो महान आत्मा हैं ! अगर वो नहीं रहते तो क्या होता इस देश का ? फिर कौन करता बड़े-बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ? कौन जनता का हक इतने अच्छे तरीके से मांग पाता ? बाबाजी के बच जाने से कईयों ने चैन की सांस ली और कई लोगों की हालत बहुत खराब हो गयी ! पता नहीं बाबाजी का कौन दुश्मन था जो इस तरह का " लाठी काण्ड " हो गया ? खैर बाबाजी को कुछ नहीं हुआ बस यही एक अच्छी खबर है !

इस तरह की ब्रेकिंग न्यूज़ पता नहीं हम सब कितने दशकों से सुनते आ रहे हैं और शायद भविष्य में भी सुनते रहेंगे की कहीं लाठी चार्ज हुआ और बहुत सारे मासूम और बेक़सूर जनता को जानवरों की तरह मारा गया ! बाबाजी बच जाते है और पिटाई के लिए सिर्फ आम जनता रह जाती है ! लगता है आम जनता तो मरने के लिए ही पैदा हुई है जो अपने विवेक से कम और आकाओं के बहकावे में ज्यादा काम करती है ! नेताओं और बाबाओं की करनी की कीमत आज आम जनता को अपनी जान देकर तो कभी अपने हाथ -पैर तुडवा कर चुकाना पड़ रही है ! इतिहास गवाह है किसी भी राजा की जान बचाने उसका राजपाठ बचाने के लिए उस राज्य की जनता ने हँसते हँसते अपने प्राणों की बलि तक दी है तब जाकर कहीं उस देश का राजा बर्षों तक राज कर पाया वह भी अपनी प्रजा की वजह से ! और राजा ने भी अपनी प्रजा का पूरा ख्याल रखा ! किन्तु आज स्थिति पलट गयी है ! आज राजा अपना राजपाठ बचाने के लिए आम जनता की बलि चढ़ा रहा है ! जनता ( बाबाजी के चेले ) आज भी अपने " आका " के लिए मरने मारने तक तैयार रहती है , किन्तु " आका " नहीं ! आज तक देश में जितने भी बम ब्लास्ट हुए हैं या बड़े स्तर पर गोली चालन या लाठी चार्ज हुआ है , उनमें आज तक सिर्फ और सिर्फ मासूम और आम जनता को ही अपने प्राण गंवाने पड़े हैं ! आज तक किसी राजा ( नेता- बाबा ) ने अपने प्राणों की आहुति नहीं दी है और ना ही कभी देगा ! अगर देश के किसी भी नेता या बाबा की मौत किसी बम ब्लास्ट में या लाठी चार्ज में हुई हो तो वो एक अपवाद है ! वर्ना आज तक आम जनता के अलावा कौन मारा गया ? यह भी एक कटु सत्य है ! हालांकि लाठी चार्ज और आतंकवाद का कोई धर्म , मजहब नहीं होता ! आज का लाठी चार्ज और आतंकवाद ना मासूम देखता है ना बूढ़ा , गरीब - अमीर , ना हिन्दू ना मुस्लिम ! सवाल सिर्फ इतना है की कब तक आम जनता, नेताओं और बाबाओं की करनी का फल भुगतेगी , क्या कोई दिन ऐसा आएगा जब आकाओं की करनी का फल उनको मिलेगा ?

संसद पर जब आतंकवादियों का हमला हुआ था उस वक़्त सारे देश की निगाहें संसद पर थीं ! दुखी और व्यथित आम जनता तो कह रही थी काश आतंकवादी अन्दर पहुँच जाते तो इस देश से एक बार तो भ्रष्टों का सफाया हो जाता ! किन्तु ऐसा नहीं हुआ , हुआ बही जो आज तक होता आया एक बार फिर फर्ज की खातिर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए , देश की आन-वान-शान बचाने के लिए, देश के दुश्मनों को उनकी असली औकात दिखाते हुए मंदिर में बैठे हुए भगवानों ( नेता-मंत्री ) की रक्षा करते हुए सच्चे सिपाहियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी ! किन्तु आज भी कहीं ना कहीं उन्ही भगवानों के कारण उन सिपाहियों के परिवार आहात और दुखी हैं ! उनको उनका हक और कर्तव्य निष्ठां का फल आज तक नहीं मिल पाया ! ( आदर्श सोसायटी घोटाला ) देश के मंत्रीगण भले ही १३ दिसंबर को या " कारगिल दिवस " पर उनको तिलांजलि या श्रद्धंजलि देकर इतिश्री कर ले किन्तु भविष्य में ऐसी कई घटनाएं अभी और होंगी जब बेकसूर और आम जनता मारी जायेगी !

और हर बार की तरह ....... नेताजी और बाबाजी बाल-बाल बच जायेंगे ... ( लेकिन आम जनता )

धन्यवाद

16 comments:

  1. बच गये, वैसे कार्यक्रम तो, कहीं से भी छोडने का नहीं था, वो तो भला हो उन औरतों का जो उनके साथ, कपडे बदल निकल गये।

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  2. बहुत सुन्दर ।
    आपकी पुरानी नयी यादें यहाँ भी हैं .......कल ज़रा गौर फरमाइए
    नयी-पुरानी हलचल
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/

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  3. देश बचा रहे, वह आवश्यक है।

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  4. विचारणीय लेख ......

    बलिदान जनता देती है तो परिवर्तन भी जनता ही लाएगी

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  5. Aam janta to pis ne ke liye is diniya me hai!

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  6. स्पष्ट खरी खरी और दो टूक बात

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  7. भविष्य में ऐसी कई घटनाएं अभी और होंगी जब बेकसूर और आम जनता मारी जायेगी....

    बिलकुल सही कहा आपने!

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  8. करोडों के बाबा टके की करतूत। लोगों को मरता छोड भाग गये।

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  9. यह तो होना ही था ...यही देश की बदकिस्मती है ! ! शुभकामनायें आपको !

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  10. आपके अन्दर काफी कुछ नकारात्मक है . आप यह कह रहे है की सरकार भी भविष्य में गलत ही करने वाली है . बाबा केवल पिटवाने के लिए लोगों को इकट्ठा करने वाले है और जनता भी जरूर पिटेगी. यदि सकारात्मक सोच के साथ देखते है तो अन्ना और बाबा के आंदोलनों के पहले आम जनता किसी भी खास मुद्दे पर इतनी जागरूक नहीं दिखी थी.

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  11. rekha ji, hamare desh main aam janta bhedchaal main poori tarah vishwas rakhti hai, isliye aam janta ke bal par desh ke neta aur baba apni raajnitik rotoyan senk rahe hain , agar babaji apni baat par adig the to kyon vahan se is tarah bhage , unki taref jab hoti jab vo bhi aam janta ke saath lathiyan khate , main nakaratmak nahin hoon, lekin aaj aam janta ka sirf aur sirf istemaal kiya jaata hai

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  12. भविष्य में ऐसी कई घटनाएं अभी और होंगी जब बेकसूर और आम जनता मारी जायेगी !

    और हर बार की तरह ....... नेताजी और बाबाजी बाल-बाल बच जायेंगे ... ( लेकिन आम जनता )

    ज्वलंत प्रश्न है पर जवाब नहीं ..

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  13. ऐसी कई घटनाएं अभी और होंगी विचारणीय लेख ......

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  14. करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  15. मित्रों पहले तो रामदेव का नाम अन्ना जी के साथ जोड़कर अन्ना का अपमान ना करें। अन्ना दानी और गांधी है, रामदेव लालची हैं। रामदेव सत्याग्रह करने दिल्ली आए थे, भाषण में शिवाजी और भगत सिंह का नाम ले रहे थे। लेकिन औरतों के भेष में भागते हुए पुलिस ने उन्हें पकडा और ठोक बजा कर जिप्सी में लादा।
    बाबा से पूछिए कौन सत्याग्रही महिलाओं के भेष में भागता है। इन्होंने महात्मा गांधी के सत्याग्रह को कलंकित किया और अन्ना के आंदोलन को कमजोर।
    वैसे भी झूठ के बुनियाद पर कोई आंदोलन खढ़ा नहीं हो सकता। बाबा ने दिल्ली और आसपास दो करोड से ज्यादा पर्चे बंटवाएं, जिसमें दिल्ली में निशुल्क योग शिविर की बात की गई थी और यहां वो सरकार के साथ दूसरी बात कर रहे थे। बहरहाल बाबा बुरी तरह फंस चुके हैं। बालकृष्ण की तो बिल्कुल खैर नहीं।

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