आखिर क्या है जिंदगी ?
कभी धूप , कभी छाँव है जिंदगी
कभी सुबह तो कभी शाम है जिंदगी !
कभी गम तो कभी ख़ुशी
कभी मायूस तो कभी हंसी है जिंदगी !
कभी उमंग , कभी तरंग
कभी सपना , तो कभी बोझ है जिंदगी !
कभी धर्म ,तो कभी मजहब
कभी हिन्दू , तो कभी मुसलमां है जिंदगी !
कभी आश , कभी निराश
कभी हास , तो कभी परिहास है जिंदगी !
कभी भोली , कभी मासूम
कभी बच्चा , तो कभी जवाँ है जिंदगी !
कभी स्थिर , कभी भागमभाग
" जीवन की आपाधापी " है जिंदगी !
कभी बीमार , कभी उपचार
कभी लाभ-हानि , तो कभी व्यापार है जिंदगी !
कभी खौफ , कभी निडर
कभी भयभीत है जिंदगी !
कभी धोखेबाज , कभी प्रताड़ित
कभी क़ैद , तो कभी " आज़ाद " है जिंदगी !
कभी सूनी , कभी बेरंग
कभी बेनूर ,तो कभी रंगीन है जिंदगी !
कभी ईमान , कभी बेईमान
कभी सच , कभी झूंठ
कभी घोटाला ,तो कभी भ्रष्टाचार है जिंदगी !
कभी सफलता , कभी ठोकर
कभी गिरना , तो कभी चढ़ना है जिंदगी !
कभी खूंन , कभी पानी
कभी इंसानियत , तो कभी शर्मसार है जिंदगी !
कभी अपनी , तो कभी परायी
कभी प्यार , कभी जंग
कभी " सच " तो कभी " शक " है जिंदगी !
कभी त्याग , कभी समर्पण
कभी जुदाई , तो कभी अपनापन है जिंदगी !
कभी जिम्मेदार , कभी लापरवाह
कभी दायित्व , तो कभी साधारण है जिंदगी !
कभी खुली किताब
कभी अन सुलझी पहेली है जिंदगी !!
आखिर क्या है जिंदगी ?? आखिर क्या है मुक़ाम जिंदगी का ??
धन्यवाद
संजय कुमार
कभी धूप , कभी छाँव है जिंदगी
कभी सुबह तो कभी शाम है जिंदगी !
कभी गम तो कभी ख़ुशी
कभी मायूस तो कभी हंसी है जिंदगी !
कभी उमंग , कभी तरंग
कभी सपना , तो कभी बोझ है जिंदगी !
कभी धर्म ,तो कभी मजहब
कभी हिन्दू , तो कभी मुसलमां है जिंदगी !
कभी आश , कभी निराश
कभी हास , तो कभी परिहास है जिंदगी !
कभी भोली , कभी मासूम
कभी बच्चा , तो कभी जवाँ है जिंदगी !
कभी स्थिर , कभी भागमभाग
" जीवन की आपाधापी " है जिंदगी !
कभी बीमार , कभी उपचार
कभी लाभ-हानि , तो कभी व्यापार है जिंदगी !
कभी खौफ , कभी निडर
कभी भयभीत है जिंदगी !
कभी धोखेबाज , कभी प्रताड़ित
कभी क़ैद , तो कभी " आज़ाद " है जिंदगी !
कभी सूनी , कभी बेरंग
कभी बेनूर ,तो कभी रंगीन है जिंदगी !
कभी ईमान , कभी बेईमान
कभी सच , कभी झूंठ
कभी घोटाला ,तो कभी भ्रष्टाचार है जिंदगी !
कभी सफलता , कभी ठोकर
कभी गिरना , तो कभी चढ़ना है जिंदगी !
कभी खूंन , कभी पानी
कभी इंसानियत , तो कभी शर्मसार है जिंदगी !
कभी अपनी , तो कभी परायी
कभी प्यार , कभी जंग
कभी " सच " तो कभी " शक " है जिंदगी !
कभी त्याग , कभी समर्पण
कभी जुदाई , तो कभी अपनापन है जिंदगी !
कभी जिम्मेदार , कभी लापरवाह
कभी दायित्व , तो कभी साधारण है जिंदगी !
कभी खुली किताब
कभी अन सुलझी पहेली है जिंदगी !!
आखिर क्या है जिंदगी ?? आखिर क्या है मुक़ाम जिंदगी का ??
धन्यवाद
संजय कुमार