Wednesday, February 18, 2015

आओ थोड़ा सा " Selfie " थोड़ा सा " Selfish " होलें ................ >>>> संजय कुमार

आज जमाना तो सेल्फ़ी का है , जिसे देखो सेल्फ़ी लेने में लगा हुआ है, कभी अपनी तो कभी अपनों के साथ ,तो कभी यार दोस्तों के साथ , कोई अपनी जान जोखिम में डालकर टॉवर पर चढ़ जाता है , तो कोई हवाई जहाज से लटक जाता है ! आजकल सेल्फ़ी ने हमारे बीच एक वायरस का रूप ले लिया है , मॉर्डन तकनीक का जमाना है भाई , हमें उसके साथ चलना चाहिए , अगर नहीं चले तो हमारी गिनती पिछड़े हुए लोगों में हो जाएगी , हमें इसकी परवाह है , फिर चाहे ज़माने के साथ चलने के लिए हमें सेलफिश ही क्यों ना होना पड़े ? 

आज के वातावरण में एक ऐसा वायरस (कीटाणु) हमारे बीच रच बस गया है जिसे हम सभी बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं , सेल्फिश " स्वार्थ  " जिसने इंसान से उसकी इंसानियत को उससे छीन लिया और उसे बना दिया सिर्फ नाम का इंसान ! स्वार्थ नाम का ये कीटाणु लगभग हर इंसान के अन्दर पाया जाता है , क्योंकि इंसान एक-दुसरे को देखकर तुरंत इस वायरस की गिरफ्त में आ जाता है ! जिस किसी के अन्दर यह कीटाणु नहीं है, वह इन्सान इस दुनिया में रहने के लायक नहीं है या फिर वो इस दुनिया का नहीं है , क्योंकि स्वार्थ के बिना तो आज के इंसान का कोई वजूद ही नहीं हैं ! अगर हम अपने अंतर्मन में झांककर देखें तो हम सभी , कभी न कभी , कहीं ना कहीं किसी चीज को लेकर स्वार्थी जरूर हुए हैं ! अपने या अपनों के सुख के लिए , कभी दूसरों को तकलीफ पहुँचाने के लिए, तो कभी खुद को तकलीफ से बचाने के लिए , मन स्वार्थी जरूर हुआ होगा ! सच तो ये है कि यह बात किसी को भी बुरी लग सकती है , लेकिन यह भी प्रकृति का बनाया एक नियम ही हैं ! कुछ लोग कुछ चीजों को स्वार्थ का नाम देते हैं , उसके जबाब में कुछ लोग उसे अपनी मजबूरी का नाम देते हैं ! स्वार्थ नाम का कीटाणु इंसान  के अन्दर इस तरह घर कर गया हैं , जैसे वह कोई पराया नहीं अपना खून का रिश्ता हो जैसे ( आज तो कई जगह खून के रिश्तों का खून हो जाता है ) कई बार ऐसा लगता है कि , जैसे इंसान को जिन्दा रहने के लिए " ऑक्सीजन " की आवश्यकता होती है ठीक वैसे ही स्वार्थ के कीटाणु की , किन्तु अब यह  कीटाणु दीमक की तरह इंसान को और उसकी इंसानियत को अन्दर ही अन्दर खोखला कर रहा है !


स्वार्थ अब सब पर भारी " माँ-बाप " अपने स्वार्थ के लिए बच्चों के साथ गलत कर रहे हैं , बच्चे अपने स्वार्थ के लिए अपने माँ-बाप के साथ गलत कर रहे हैं ! आज कई परिवारों में इस स्वार्थ नाम के कीटाणु का बोलबाला हैं ! आज कई घर इसके कारण बर्वाद  हो रहे हैं ! आजकल सच्ची दोस्ती में भी स्वार्थ नाम का कीटाणु घुस गया है ! देश को चलाने बाले बड़े बड़े नेता, मंत्रीगण और आला अधिकारी जब अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश के साथ खिलवाड़ करते हैं तो उसका परिणाम इस देश की आम जनता को भुगतना पड़ता है ! नक्सलवाद हो या आतंकवाद , जातिवाद - धर्म -मजहब को लेकर  सड़कों पर बहने वाला निर्दोषों का खून ……… सब कुछ , कुछ स्वार्थी लोगों के कारण ! आज देश के कई महान साधु -संत, मौलवी -फ़कीर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश में अधर्म की आग फैला कर अराजकता का माहौल पैदा कर अपने ही भाइयों को आपस में लड़ा कर , अपनी रोटीयाँ सेंक रहे हैं ! हमारे ग्रन्थ और पुराण , हमारा इतिहास तक नहीं बच पाया तो फिर हम जैसे आम इंसानों का क्या अस्तित्व हैं ! इतिहास में ऐसे कई गद्दार थे जिनके स्वार्थ के कारण देश के कई वीर योद्धाओं को अपने प्राण तक गंवाने पड़े ,सब कुछ स्वार्थ के कारण !

स्वार्थ अगर देश की एकता और अखंडता को बचाने के लिए हो तो अच्छा है ! किसी भूखे की भूख मिटाने के लिए हो--- तो अच्छा है ! रोते हुओं के आंसू पोंछने के लिए हो ----तो अच्छा है ! आपके स्वार्थ से किसी का भला हो---- तो अच्छा है ! इन सब के लिए इंसान का स्वार्थी होना अच्छा है ! आओ यहाँ थोड़ा सा " Selfie " थोड़ा  सा  " Selfish " होलें !

इस देश में आजकल कई वायरस आपको अपनी गिरफ्त में लेने के लिए तैयार खड़े हैं ! सावधानी रखिये और कई खतरनाक वायरसों से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कीजिये ! ( स्वाईन फ्लू जानलेवा नहीं, स्वार्थ जानलेवा है )

धन्यवाद 

11 comments:

  1. स्वार्थ / अपने मतलब की बात या काम , जी ये भूख मिटाने से लेकर जान बचाने तक और सोने से लेकर मौत होने तक हर हाल में हर जगह शामिल है ! जैसे ये हर एक में हर समय शामिल है ठीक उसी तरह परोपकार और दया भावना भी हर एक के अंदर हर एक विचार के साथ शामिल हो जाए तो दुष्परिणाम कम हो सकते हैं। आप हमेशा ह्रदय के विचारों को आम भाषा में बड़ी ही सरलता से पेश करते हैं , बहुत ही बढ़िया विषय और उत्तम लेख , शुभकामनायें !

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  2. sarthak post badhai .. aajkal swarth ki bhi paribhasha badal gayi hai .. iske durgami parinam sabhi ko najar aa rahen hai phir bhi selfish ho rahe hai ..

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  3. बहुत अच्छी पोस्ट
    आपकी काफी बातो से सहमत हु

    आभार

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  4. बहुत ही सुन्दर पोस्ट।

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  5. सुन्दर और सार्थक लेख ................पहली बार आपके ब्लॉग पर आया ...........अच्छा लगा!

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  7. संजय जी आपका ये "सेल्फी और सेल्फिश " का जो संयुक्त समागमन है वह बहुत ही तारीफ़ के काबिल है आपने बात ही बात में पूरे समाज को निचोड़ कर स्वार्थी सब्द से परिचित करा दिया आपका ये लेख बहुत ही सुन्दर है आप अपने लेख इसी प्रकार से शब्दनगरी पर भी लिखकर और भी पाठकों तक पहुँचा सकते है .........

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