Tuesday, March 27, 2012

वात्सल्य चाहिए .......>>> संजय कुमार

कुछ सालों में मैंने आपसे 
सिर्फ माँगा ही माँगा है !
वो मेरी मजबूरी रही हो 
या कमजोरी 
चाहे वो जबाब  मांगे हो 
या आपकी दया 
पर इन सालों में मैंने 
नियति के हांथों 
खोया भी बहुत कुछ है !
और जो सबसे बड़ी चीज खोई है 
वो है , मजबूरी में आकर खुद को 
और जब खुद को ही खो दिया 
तो आपसे संपर्क कैसे बनाये रखूं 
पर मैं खुद को बापस पाना चाहती हूँ 
पहले से भी बेहतर 
खुद को पाकर ही मैं....... 
आपसे जुड पाऊंगी ........
आज फिर अकेली हूँ ......
" पिता " आपके हांथों का सहारा चाहिए 
मेरे अन्दर जो आंसू कैद हैं 
वो आपके कन्धों पर छूटने चाहिए 
" हे पिता मेरे " मुझे 
आज फिर " आपका "
वात्सल्य चाहिए 

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )

धन्यवाद 

Thursday, March 22, 2012

अब अनारकली भी डिस्को चली .......>>>> संजय कुमार

आप भले ही कभी पब या डिस्को में ना गए हों , किन्तु अब इतिहास के पन्नों से निकल कर " सलीम " की " अनारकली " अब डिस्को तक पहुँच गई है ! भले ही आपका टांका कभी किसी से भिड़ा हो या ना भिड़ा हो , किन्तु हमारी लैला , अरे भूल गए .......... अरे वही " लैला -मजनूं " वाली लैला जिसके सच्चे प्रेम की कहानिया इस देश बच्चे बच्चे की जुबान पर हमने कई बार सुनी है ! जिनके सच्चे प्रेम की कसमें देश के लाखों युवाओं ने कई बार खाई हैं ! अब उस लैला का टांका भी मजनू के अलावा किसी और से भिड़ा है और ऐसा मैं नहीं  " बौलीवुड " के आने वाले गाने कह रहे हैं ! सच है भई जब हमारे आसपास का वातावरण ही पूरी तरह से दूषित हो तो ऐसी स्थिति में हमें दूषित चीजें ही खाने - पीने और सुनने को मिलेंगी ! इससे पहले भी हम बहुत सी दूषित चीजों के दीवाने हुए हैं ! पहले भी हमने बिना बात " मुन्नी "को बदनाम किया है ! शीला को जवान किया है ! " चिकनी चमेली " को भी पव्वा पिलाकर छत पर चढ़ा दिया है तो कहीं ऊह लाला ... ऊह लाला करते घूम रहे हैं  ! आगे और क्या - क्या होगा ?...........  आज ऐसे फूहड़ गीतों की हमारे देश में तो बाढ़ सी आई हुई है ! बच्चे का जन्म-दिन हो , शादी - पार्टी हो यहाँ तक की धार्मिक आयोजनों में भी इस तरह के गीतों का चलन तेजी से बढ़ रहा है ! दिलों में जोश , देश पर मर मिटने का जज्बा पैदा करने वाले गीत तो कब के आना बंद हो गए बल्कि ऐसे गीतों को तो आज इतनी लोकप्रियता भी नहीं मिलती ! पिछले १० सालों का रिकार्ड उठाकर देखें तो उन गीतों को कितने अवार्ड मिले हैं जो देश-भक्ति, राष्ट्र के प्रति प्रेम पर आधारित या फिर पारिवारिक हों ! आजकल अवार्ड " डर्टी पिक्चर " मुन्नी बदनाम तो कहीं चिकनी चमेली को दिए जा रहे हैं ! आज देश की लगभग आधी आबादी ऐसी है जिसे ना तो राष्ट्रगीत पूरी तरह से आता है और ना ही राष्ट्रगान , इसके विपरीत फूहड़ गीत रट्टू तोते की तरह रटे हुए हैं ! क्योंकि राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान , जन-गण-मन , या वन्दे-मातरम् , जैसे गीत वो गीत हैं जो शायद १५ अगस्त , या २६ जनवरी को ही विशेष रूप से गाये जाते है ! इस देश के मंत्री-संत्री , आला-अधिकारी , जिन्हें सिर्फ घूस लेना आता है , भ्रष्टाचार फैलाना जानते हैं , घोटाले करना और उनसे साफ-साफ बचना जानते हैं , उन्हें भी शायद हमारा राष्ट्रगीत नहीं आता होगा ! हिंदुस्तान में ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनमे एक-दो सदस्यों को छोड़ दें या किसी परिवार के सभी सदस्यों तक को यह गीत नहीं आता होगा ! आज हमारा वातावरण इतनी तेजी से बदला है कि , हम अपनी पहचान , अपनी धरोहर , अपना मान-सम्मान अपने हांथों से खो रहे हैं ! कारण तो हम ही हैं क्योंकि अब इस देश में एक ट्रेंड चल पड़ा है या चल रहा है ! " जो दिखता है सो बिकता है " या यूँ भी कह सकते हैं की हर " भेड़ चाल " में हम नंबर १ पर हैं ! जब हमारे दिलो-दिमाग पर , शीला-मुन्नी - चिकनी चमेली , ऊह लाला होगा तो हमारी जबान पर राम नाम कैसे होगा जब आज के बच्चे भद्दे गीतों को अपना पसंदीदा बना लेंगे तो " श्लोक " कैसे सीखेंगे ! यह सिर्फ एक गीत की बात नहीं है , वरन ऐसे कई गीत हैं जो अपनी छाप छोड़ गए ! आज फूहड़ता पैसा कमाने का अच्छा साधन है ! क्या आप फूहड़ता पसंद करते हैं ? इस देश का यह एक कडवा सच है जिसे कोई बदल नहीं सकता ! आज गली - नुक्कड़ भद्दे गीत लिखने वाले बैठे हैं ठीक उसी  प्रकार उन्हें सुनने और पसंद करने वाले ! आज के फूहड़ गीत इस कदर हमारे दिलों -दिमाग  में घर कर गए है , जिनके आगे बच्चों को राष्ट्रगीत , राष्ट्रगान मामूली से लगते हैं !
क्या शीला - मुन्नी के साथ साथ आपको राष्ट्रगीत , राष्ट्रगान आता है ? यह बात आप अपने दिल पर हाँथ रख कर बोलें , यदि नहीं आता है तो पहले इसे कंठस्थ कीजिये ! कहीं किसी दिन आपके बच्चे ने आपसे पूंछ लिया की ये राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान क्या होता है ? और इसे कैसे गाते हैं ? उस वक़्त कहीं आपको शर्मिंदा ना होना पड़े !


धन्यवाद

Thursday, March 15, 2012

पाकिस्तान की बेटी का निकाह , अब हम करवाएंगे .......>>> संजय कुमार

हम भारतीय सदा से ही अपनी अनेकों  खूबियों के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं ! फिर चाहे " अतिथि देवो भवः " , सभ्यता - संस्कृति - संस्कार - समर्पण -सहयोग की भावना हो ! हिन्दू- मुस्लिम एकता हो ! दुश्मन को भी गले लगाने का हुनर हम भारतियों से ज्यादा अच्छा  शायद ही कोई हो जो जानता हो , इस बात के उदाहरण तो कई हैं ! खैर अभी मुद्दे पर आते हैं ! जैसा की आप सभी जानते हैं हमारे पड़ोसी मुल्क " पाकिस्तान " को , अरे वही पकिस्तान जो कई बार हमें अपना असली रूप दिखा चुका है ! आज पकिस्तान की क्या हालत है ? ये सभी को मालूम है ! चारों तरफ दंगा -फसाद , बम बिस्फोट, निर्दोष और बेक़सूर लोगों का मारा  जाना , प्रतिदिन होती आतंकवादी गतिविधियाँ ! आज उसी पकिस्तान की एक बेटी का " निकाह " कराने का जिम्मा अब हम भारतियों ने ले लिया है ! आप सोच रहे होंगे कि, पाकिस्तान की बेटी का निकाह का जिम्मा हमारे ऊपर है , जी हाँ ये सच है ! पड़ोसी मुल्क के " दोस्ताना " ???  व्यवहार या फिर  ............... माफ़ कीजिये ............. उसके बावजूद हम ऐसा करने जा रहे हैं  ... और ये बात बिलकुल  सच है १००%  सच !  अब आप उस बेटी से भी मिल लीजिये ...... बैसे तो आप सभी उस बेटी को बहुत ही अच्छे से जानते और पहचानते हैं ! अरे वही आपकी अपनी " वीना मालिक " .......... अरे वही "  BIG BOSS " वाली,  जो अपनी अश्लील हरकतों के कारण " BIG BOSS " में हम सभी के बीच चर्चा का बिषय बनी रही ! अरे उससे पहले भी वो अपना काफी नाम कमा  चुकी थी ..... अरे भई वही बात जिससे आज विश्व के सभी " किरकेटर " डरे और सहमे हुए हैं ! जी हाँ सही पहचाना " मैच फिक्सिंग " में भी अच्छा खासा नाम कमाया है इन मोहतरमा ने ! इतनी खूबियाँ होने के बाद भी अब उस बेचारी के निकाह की जिम्मेदारी हमारे अपने एक भारतीय  टीव्ही चैनल ने ले ली है ! अब हम उसका " स्वयंवर " रचा रहे हैं ! इससे पहले भी कई " स्वयंवर " इस देश में हो चुके हैं ! अब एक और झेलने के लिए आप सभी तैयार हो जाइये ! निकाह करने के लिए पूरे विश्व से लगभग ७०००० से ज्यादा दूल्हों ने अपना आवेदन दे दिया है ! मोहतरमा उनमें से सिर्फ " सोलह दूल्हों "  को ही चुनेंगी और इन चुने हुए .. नमूनों .. माफ़ कीजिये दूल्हों का शक्ति परिक्षण होगा और उसके बाद बेचारा कोई एक " बलि का बकरा  " बनेगा ! इस निकाह से मुझे बहुत ख़ुशी महसूस हो रही है ! वो इसलिए कि, पहले भी भारत पडोसी मुल्क से आये हुए कई लोगों के साथ सच्ची मानवीयता और भाईचारा दिखा चुका  है ! वहां के कई बच्चे आज हमारे यहाँ " सिंगिंग-डांसिंग रियलिटी शो " में अपना जलवा बिखेर रहे हैं ! हम सच्ची कला के कद्रदान हैं ! हमारे अन्दर भाईचारे का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ है ! बीमारी से पीड़ित कई बच्चों का इलाज करके हमने कई परिवारों  को उनकी खुशियाँ लौटाई हैं ! जिसके कई  उदाहरण पूरे विश्व ने देखे  है ! प्रेम- मुहब्बत के चलते तो हम अपना सिर भी हंसी - ख़ुशी  कटा सकते हैं !  फिर भले ही हमारे देश की कई बेटियां चंद रुपयों की कमी के कारण अपनी शादी की उम्र सीमा को पार कर चुकी हों , फिर भले ही एक गरीब को अपनी बेटी के विवाह के लिए एक अच्छा  वर-घर ढूँढने के लिए अपनी एडियाँ तक क्यों ना रगडनी पड़ती हो , ये एक कडवा सच है !  बेटियां किसी की भी हों बेटी तो बेटी होती है ! देश की सभी बेटियों को उनका मनपसंद जीवनसाथी मिले ! इसके लिए मैं इश्वर से प्रार्थना करता हूँ ! वीना मालिक को भी बधाई देता हूँ !
मैं गुजारिश करूंगा देश की सरकार से , देश के बड़े-बड़े चैनलों से कि, एक स्वयंवर इस देश में ऐसा होना चाहिए जहाँ उन बेटियों के लिए वर ढूंढे जाएँ जो हमारे सभ्य समाज द्वारा बहिस्कृत है ! वो बेटियां जो आज दर - दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं और मजबूरीबश " जिस्मफरोशी  " जैसे धंधों में लिप्त हैं ! सच कहूं तो ये स्वयंवर सस्ती लोकप्रियता पाने का आज का " फैशन " बन गया है ! 

धन्यवाद  

Tuesday, March 13, 2012

नजर नजर की बात है ......>>> संजय कुमार

उनसे रिश्ता है कोई गहरा
पर क्या समझ नहीं आता है
पर उनकी एक नजर से
बड़ा सुकून मिल जाता है !
यूँ तो उस रिश्ते का कोई नाम नहीं होता है
पर बेनाम कहना भी अपमान हो जाता है !
स्वार्थ नहीं है उसमें कोई
बस नजर की बात है !
जो महसूस करता है
बस वही जानता है !
जिंदगी की थकान
उसी नजर का जादू मिटाता है
उस नजर के आगे
सारा जहान छोटा नजर आता है !
जैसे वो नजर
सदियों से है हमारी
और सदियों तक रहेगी
वो नजर
न कहने की बात है
न छुपाने की बात है
बस इस नजर की इतनी सी पहचान है
कि,
नजर नजर की बात है !

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )

धन्यवाद


Saturday, March 10, 2012

वादे तो सब करते हैं, किन्तु.....>>> संजय कुमार

आपने राजेश खन्ना पर फिल्माया गया ये  गीत जरूर सुना होगा जो फिल्म " दुश्मन " का है ! " झूंठा है तेरा वादा , वादा तेरा वादा , वादे पे तेरे मारा गया बंदा मैं सीधा-साधा  " इस गीत में हीरो अपनी महबूबा को उसका वादा याद दिलाता है  जो शायद वह भूल गयी हो , खैर जाने देते हैं , ये तो फ़िल्मी वादे हैं , इनका क्या ! यहाँ ना तो किसी ने मुझसे कोई वादा किया है , और ना ही कोई वादा तोड़ा है ! क्योंकि मैं कोई प्रेमी नहीं हूँ  और ना यहाँ लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल , हीर-राँझा की बात हो रही है क्योंकि ये तो वो  लोग थे  जिन्होंने एक-दूसरे को किये वादे को पूरा किया , चाहे फिर एक साथ अपनी जान देने का  वादा ही क्यों ना हो ! वादा तो प्रभु श्रीराम ने किया था अपने पिता दशरथ से जो उन्होंने पूरा किया ! वादा तो राजा हरिशचंद्र ने भी पूरा किया था , जिसके लिए उन्होंने अपना सब कुछ ऋषि विश्वामित्र को सौंप दिया था और वादे के लिए स्वयं और पत्नी बच्चे तक  को बेच दिया था ! खैर ये  तो हमारा महान इतिहास है ! जहाँ " प्राण जाय , पर वचन ना जाय " जैसे वादे किये जाते थे और उन्हें पूरे भी किये जाते थे  ! किन्तु आज  तो घोर कलियुग है और आज तो वादा निभाने वाली कोई कहावत ही नहीं है ! आज तो सिर्फ झूंठ, धोखा, फरेब, और वादाखिलाफी जैसे शब्द सुनाई देते हैं !हम बात करते हैं आज की , आज के नेताओं  की , या यूँ भी कह  सकते हैं , कलियुग के महान नेताओं  की , क्योंकि नेतागिरी का पहला उसूल , पहली सीढ़ी वादा करना ही है ! आज के नेता  अपने पूरे जीवन में एक-दो नहीं सेंकडों - हजारों वादे करते हैं !  देश से, देश की जनता से , अपनों से, अपने आप से , अपने कर्म के प्रति ईमानदार होने का , अपने फर्ज को पूरा करने के लिए वादा तो करते हैं , किन्तु वादा पूरा नहीं कर पाते ! आज तक नेताओं द्वारा  किये हुए  वादों पर वो  कितना खरा उतरे हैं ये बात हम सब बहुत अच्छे से जानते हैं ! उनका  लक्ष्य वादों को  पूरा करना नहीं है बल्कि लक्ष्य है अपनी तिजोरियों को भरना है ! आज के भ्रष्ट नेता जब  स्वयं के प्रति ईमानदार नहीं है , तो वो  नेता अपने द्वारा किये गए वादे  कभी भी पूरा नहीं कर सकते  ! आज जिसे देखो अपना किया वादा अपने द्वारा ही तोड़ रहा है ! देश के ऊंचे पदों पर बैठे  अधिकारी , डॉक्टर , पुलिस सभी अपना वादा भूल गए ! जो वादा उन्होंने आम जनता के साथ आम जनता की  भलाई के लिए किया था ! ऐसी कसमें खायीं ऐसे- ऐसे वादे किये कि , हर हाल में हम आम जनता का भला करेंगे ! अपने फर्ज के साथ कभी धोखा या बेईमानी नहीं करेंगे ! आज तक यह अपने वादे को कभी भी पूरा नहीं कर पाए ! गांधी जयंती पर हम सब वादा तो करते हैं   कि , हम अहिंसा का मार्ग अपनाएंगे , सदा सत्य बोलेंगे , चोरी नहीं करेंगे , और भी बहुत कुछ , किन्तु यह सिर्फ वादा है , एक मामूली सी बात , कह दिया और बस खत्म ! और अगले ही दिन हम सब अपने वादे से ऐसे मुकर जाते हैं ! जैसे हमने कभी कोई वादा किया ही नहीं था  और लग जाते बही बेइमानी करने ,  भ्रष्टाचार फ़ैलाने जो वर्षों से करते आये ! शिक्षक दिवस पर शिक्षक यह वादा तो करता है कि , वह अपने फर्ज को पूरी ईमानदारी के साथ निभाएगा , ( शिक्षा का व्यवसाय नहीं करेगा ) किन्तु  जैसे ही यह दिन निकलता है , शिक्षक भी भूल जाता है अपना किया हुआ वादा ! परिणाम हमारे सामने हैं ,  देश में कितने ही बच्चे आज शिक्षा से महरूम हैं ! अगर शिक्षक अपना किया वादा पूरा करें तो इस देश का भविष्य सुधर सकता है ! ( सरकार योजनायें और पैसा दे सकती हैं , पढ़ाना शिक्षक को ही होता है )  इस देश का हर नागरिक बड़े - बड़े वादे तो करता है किन्तु उन पर कभी भी अमल नहीं करता ! देश की  आन- बान -शान ,  राष्ट्र के प्रति ईमानदार और राष्ट्र के हित का वादा तो हम लोग करते  हैं , किन्तु  शायद ही उसे कोई पूरा करता हो ! क्योंकि राष्ट्र हित की बात करने वालों का आजकल इस देश में अकाल है !  जो इन्सान हमेशा अपने वादे पर खरा उतरता हैं उसे ही  हमें इस " देश का सर्वोच्य नागरिक " का खिताब देना चाहिए ! मुझे नहीं लगता कि , आज देश में एक भी ऐसा इन्सान है जो अपने द्वारा किये हर वादे पर खरा उतरा हो ! वैसे तो आज इन्सान , इन्सान ही नहीं रहा , इन्सान आज जितना मतलबी और स्वार्थी हो गया है , उसे  देखकर सुनकर यही लगता है ! " झूंठा है तेरा वादा "


धन्यवाद


Tuesday, March 6, 2012

बसंत की जवानी है होरी ....>>> संजय कुमार

बसंत  की जवानी है होरी  
छोरा-छोरी के  मन को
रंगती है होरी
बच्चों को
सबसे अधिक भाती है होरी
बूढ़ों को अतीत में ले जाती है होरी
गोजा पपड़ियों से भी
जानी जाती है होरी
सिर्फ तन को ही नहीं
मन के  भी
वैर का मैल धोकर
प्रेम के रंग में रंग जाना है होरी 
कुंवारे मन को गुदगुदा कर 
भावी जीवनसाथी  के
सपने सजाती है होरी
हर तरह के नकारात्मकता को जलाने
और
सकारात्मकता के उल्लास के साथ 
जीवन में आगे बढ़ने का नाम है होरी 

 समस्त ब्लौगर  साथियों को परिवार सहित  होली की बहुत बहुत ढेरों शुभकामनाएं , यह पर्व आपके जीवन में खुशियाँ और उमंग लेकर आये  ............. ( वृक्षों का काटना रोकिये .... पानी का अपव्यय रोकिये )



शुभकामनाओं सहित
संजय - गार्गी   ( रचना,  गार्गी की कलम से )


धन्यवाद

Thursday, March 1, 2012

ऊंची दुकान पर बिकते फीके पकवान ..... ( ऊंचे लोगों की ये कैसी पसंद ) .... >>> संजय कुमार

" ऊंची दुकान-फीके पकवान " ये कहावत हमने कई बार सुनी है ! तात्पर्य जिसकी जरुरत से ज्यादा प्रशंसा   की गयी हो और वो प्रसंशा के लायक ही ना हो ! ऐसा हमारे देश में आये दिन होता है ! आपने टेलीविजन पर एक विज्ञापन जरूर देखा होगा " ऊंचे लोग - ऊंची पसंद " मैं ऐसे सभी ऊंचे लोगों को नमन करता हूँ जो ऊंची सोच रखते हैं , जो ऊचे ख्वाब देखते हैं और ऊंचा करते हैं ! किन्तु आजकल ऊंचे लोग कर क्या रहे हैं ? गुटखा - तम्बाखू  बेच रहे हैं ! शराब - बियर के ब्रांड के  नाम पर सोडा का प्रचार कर रहे हैं ! कहीं " मुंह में रजनीगंधा - क़दमों में दुनिया "  ! कहीं ऐसा ना  हो  गुटखा खाने वालों को , "  क़दमों में दुनिया " की जगह  एक दिन इस दुनिया से ही ना जाना पड़ जाये ! आज से कुछ बर्ष  पहले सरकार ने एक बड़ा  कदम उठाया था कि , हिंदी फिल्मों में और टेलीविजन पर ,  अब हाँथ में सिगरेट  लिए ना तो कोई हीरो दिखेगा और ना ही कोई विलेन , क्योंकि इस तरह की चीजों से आम जनता के बीच  इन चीजों को बढावा मिलता है ,  और इसका सीधा - सीधा प्रचार भी होता  है ! शायद सरकार अपनी ये बात  भूल गयी है ! अब शायद फिल्मों में  हीरो सिगरेट ना पीता हो, गुटखा ना खाता हो ,  लेकिन आज टेलीविजन पर प्रतिदिन  कई बार  वियर , सोडा , पान - तम्बाखू और गुटखा जैसे  विज्ञापन बार बार दिखाए  जा रहे हैं  ! आज नए और पुराने अभिनेता टेलीविजन पर इन चीजों का नए- नए रूप में प्रचार कर रहे हैं ! या तो इन लोगों के पास काम नहीं है या फिर पैसा ही इनके लिए सब कुछ है !  क्या इस तरह के  विज्ञापनों से सरकार आम जनता का भला कर रही है या फिर बुरा ?  यह तो हम नहीं जानते किन्तु हमारा युवा जरूर इन विज्ञापनों कि तरफ आकर्षित होता है या फिर हो  रहा है ! क्योंकि आज का युवा कहीं ना कहीं कुछ अभिनेताओं या बड़ी सेलिब्रिटी का अनुसरण  करता है ! आज का युवा यह  जानना चाहता है कि टी व्ही पर आने वाला  वियर का विज्ञापन आखिर क्या चाहता हैं ?  क्या वह इनका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करे या फिर इनका बहिष्कार स्थिति  असमंजस में  है ! दूसरी ओर  गुटखों के विज्ञापन ये मसाला , वो  पान बहार , दुनिया भर के विज्ञापन आज हम सब अपने परिवार के साथ बैठकर देखते हैं ! जब परिवार का सबसे अबोध बच्चा इस विज्ञापन के बारे में  पूछता  है तो उस वक़्त माँ-बाप को भी  समझ नहीं आता कि उसके प्रश्न का वो  क्या जबाब दें !  क्योंकि टेलीविजन पर जो विज्ञापन आते हैं उनका मकसद तो हमेशा यही होता है कि आप दिखाए जाने वाले  विज्ञापन के उत्पाद का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें !  तो फिर हम इसका उपयोग क्यों ना करें ?  जब टेलीविजन पर एक विज्ञापन देखा जिसमे गुटखा और तम्बाखू से होने वाली बीमारियों को दिखाया जा रहा था  जिसमे गुटखा के उपयोग के बाद मुंह में हुए केंसर को दिखाया गया और दिखाया गया एक भयानक और डरावना चेहरा , जिसे देखकर कोई भी कमजोर दिल का आदमी डर जाए ! जब  यह विज्ञापन समाप्त होता है तभी दूसरा विज्ञापन आता हैं जिसमे एक गुटखा 
कंपनी का प्रचार आता है  और प्रचार में  दिखाया जाता है कि,  आप अपने पूरे परिवार के साथ खाएं ये पान मसाला  ! सरकार भी यह सब देख रही है या यूँ कहें कि,  देखकर बस यूँ ही अनजान बन रही है !
सच ............
सरकार नहीं चाहती इन विज्ञापनों को बंद करना  क्योंकि यह विज्ञापन सरकार को मोटी रकम जो अदा करते हैं ! आज देश में  सरकार को सबसे ज्यादा आमदनी इन नशीले पदार्थों के विक्रय से ही होती है , तो फिर सरकार क्यों चाहेगी इन विज्ञापनों को  बंद करवाना !  इन विज्ञापनों को देखकर जितने ज्यादा युवा लड़के और लड़कियां इनकी तरफ आकर्षित होंगे ,  उतनी ही ज्यादा इनकी विक्री बढेगी  और जितनी ज्यादा बिक्री उतना ज्यादा फायदा सरकार को या यूँ कहेंगे सरकार के आला मंत्रियों को क्योंकि इनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इनको भी तो जाता है !  तो फिर आप ही बताएं शराब , सिगरेट , तम्बाखू और गुटखा हैं ना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक .... माफ़ करना हम आम जनता के स्वास्थ्य के लिए नहीं बल्कि सरकार के स्वास्थ्य लिए फायदेमंद ! अगर यही आलम रहा तो सरकार एक दिन ....हमारे सामने, हमारे लिए मौत बेचेगी और हम लोग बाज़ार से मौत खरीद कर लायेंगे. और वो दिन अब  ज्यादा दूर नहीं  ( एक बार अवश्य सोचें ) 



धन्यवाद