" जीवन की आपाधापी " में इंसान आज इतना उलझा हुआ हैं कि, लगता है जीवन भर ये उलझन नहीं सुलझेगी ! जहाँ दिन प्रतिदिन बढ़ती समस्याएं , उस पर मंहगाई की मार , पैसों की कमी से अर्थ-व्यवस्था बीमार ! पारिवारिक वातावरण में अपनेपन और प्रेम का अभाव ! आस -पास का प्रदूषित और असंस्कारिक माहौल , ये सब कुछ इंसान से उसकी खुशियाँ छीन रहा है ! आज इंसान के जीवन में ढेर सारी उलझनें हैं जिनसे उसका निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है ! आज इंसान ने अपने आप को इतना व्यस्त कर लिया है कि, वह सुकून और ख़ुशी को महसूस ही नहीं कर पाता और जब महसूस करने का वक़्त आता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ! जब इंसान अच्छे पलों का फायदा नहीं उठाता और उन्हें खुशनुमा नहीं बनाता तब तक उसकी खुशियाँ उससे बहुत दूर होती हैं ! जब इंसान अपनी और परिवार की खुशियों में शामिल नहीं होता तब वह धीरे - धीरे दूर होता चला जाता है , अपनों से, अपने समाज से ! जब कोई इंसान अपना ध्यान तक ठीक से नहीं रख पाता तो फिर वह किसी और का ध्यान कैसे रख पायेगा ! आज का इंसान लगा हुआ है सिर्फ पैसा कमाने के लिए , मशीनों की तरह काम करने के लिए, बह भी कभी ना रुकने बाले घोड़ों की तरह ! जब इंसान कभी ना खत्म होने वाले जीवन के कार्यों में जुट जाता है तो ये मान लीजिये खुशियाँ और सुकून उससे कोसों दूर हो जाते हैं ! आज इन्सान ने अपने जीवन में जरूरतें और आवश्यकताएं इतनी पैदा कर ली हैं जिन्हें पूरा करते करते इंसान के ऊपर बुढ़ापा तक आ जाता है फिर भी जरूरतें कभी पूरी नहीं होती हैं ! अपितु जरूरतें समय के साथ- साथ और भी बढ़ती जाती हैं ! एक समय था जब इंसान अपने जीवन में सुख और सुकून का अनुभव करता था ! तब इंसान आज की तरह आधुनिक नहीं था और ना ही उसकी जरूरतें ज्यादा थी ! उस वक़्त इंसान को चाहिए था रोटी -कपडा -मकान जो उसके पास होता भी था ! क्योंकि उस वक़्त इंसान थोड़े में ही सब्र कर लेता था ! ( सब्र इंसान का सबसे सच्चा और अच्छा साथी है ) उसका सबसे बड़ा हथियार सब्र था जो उसे हमेशा सुकून और सुख का अनुभव कराता था , फिर वह खुशियों के पल, पल भर के ही क्यों ना हो ! तभी तो आज के कई बुजुर्ग यह कहते हैं कि, समय तो हमारा था जिसमें इंसान के पास सब कुछ था जो उसे चैन और सुकून देता था ! जितनी चादर थी उतना ही पैर फैलाता था और उठाता था जीवन में सुख और सुकून का आनंद ! लेकिन आज के चकाचौंध और भागमभाग वाले माहौल में उसे यह सब कुछ देखने को नहीं मिलता ! अगर जीवन में पाना है सुकून और सुख की अनुभूति ! तो जुड़े रहिये अपने परिवार के साथ, जुड़े रहिये अपने समाज के साथ , अपने मित्रों के साथ , समझें उन्हें और उनके महत्व को ! आज ना दौड़ें अंधों की तरह आधुनिकता की दौड़ में सब कुछ पाने के लिए !
इंसानी इक्षाएं तो अन्नंत हैं ..........जिनका कोई अंत नहीं ............ सुकून होता है पल भर का ........तो उस पल को महसूस करें....जीवन का आनंद उठायें ..........
धन्यवाद