Friday, November 23, 2012

अब मुझे भी डर लगने लगा है ! क्या आपको भी ? ........>>> संजय कुमार

क्या एक आम इंसान जीने के लिए साँस भी नहीं ले सकता ? क्या एक आम इंसान इस आजाद देश में आजादी के साथ विचरण भी नहीं कर सकता ? क्या एक आम इंसान अपनी भावनाएं भी व्यक्त नहीं कर सकता ? फिर क्या है अभिव्यक्ति की आज़ादी ? आज ऐसे सेकड़ों सवाल हमारे मन में दिन-प्रतिदिन उठते हैं और जिनका जबाब शायद ही किसी के पास हो , अगर किसी के पास जबाब होता भी है तो बही सब रटा - रटाया जबाब , आप आजाद देश के नागरिक हैं ! आपको अपनी बात कहने  , रखने का पूर्ण अधिकार है ! जो अधिकार एक अमीर के होते हैं बही अधिकार एक गरीब और एक आम आदमी के भी होते हैं ! हम सब एक है ! हम सभी धर्मों को एक सामान द्रष्टि से देखते हैं , इत्यादि ! ऐसा सुनने और कहने  में तो अच्छा तो लगता है किन्तु वास्तविकता इससे कहीं अलग - थलग होती है ! आज जो सुलूक एक आम आदमी के साथ हो रहा  है वो हम सब अच्छे से देख , सुन और सह रहे हैं ! कोई भ्रष्टाचार का घिनौना चेहरा उजागर करने के लिए कार्टून बना कर अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करता है तो उस पर " राष्ट्रद्रोह " का मुकदमा  ठोक दिया जाता है , संविधान का अपमान कहा जाता है ! सोशल साईट " फेसबुक " पर कोई अपनी बात कहता है और कोई दूसरा उसका समर्थन करता है तो ये कानून की नज़र में गुनाह हो जाता है और  बिना सोचे - समझे उस व्यक्ति को हवालात की हवा खिला दी जाती है ! जी ऐसा कुछ नहीं है , ऐसा जिन लोगों के साथ होता है वो होते हैं आम लोग , वो आम लोग जो ऊंचे और रसूखदार लोगों की नज़रों में सड़क पर रेंगने वाले किन्ही कीड़े - मकौड़े से कम नहीं होते ! अगर मैं गलत हूँ तो फिर आज तक कोई भी बड़े नेता को या फिर किसी रसूखदार को उसके गलत बयान या गलत हरकत के लिए हवालात के अन्दर क्यों नहीं डाला गया ? क्या उन्होंने कभी कुछ गलत नहीं बोला या गलत नहीं किया ? आज हमारे देश में राजनेता और राजनीति किस दर्जे की हो गयी है ये बात तो आज बच्चा - बच्चा जानता है ! किस तरह इस देश के वरिष्ठ नेता और मंत्री अपने घटिया बयानों से इस देश में रहने वाले लोगों की  मान- मर्यादा और  संस्कारों को नुक्सान पहुंचाते है , फिर भी उनके साथ कोई बुरा सुलूक नहीं किया जाता , बल्कि यदि कोई आम आदमी ऐसा करदे तो समझ लीजिये उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा गुनाह कर दिया हो जिसके लिए सारे कायदे- कानून हों और वो उन्ही पर लागू होने के लिए बने हों ! क्यों ऐसा कभी भी नेता , मंत्री या बड़े लोगों के साथ नहीं किया जाता ?  क्योंकि वो आम आदमी नहीं इस देश का भगवान है ? अगर एक आम आदमी की आजादी का यही मतलब है तो फिर मेरी नज़र में , अंग्रेजों से आजाद होने के लिए हजारों - लाखों लोगों द्वारा इस देश के लिए दी गयी कुर्बानियां बेकार है ! देश के हर व्यक्ति की आजादी के लिए लड़ाईयां लड़ी गयीं और जब देश आजाद हुआ तो हर हिनुस्तानी आजाद हुआ चाहे वो अमीर हो या गरीब , नेता हो या साहूकार , आजादी सभी के लिए है ! 
हम कुछ भी कहें हर हाल में मरना आम आदमी का ही है ! आज जिस तरह का माहौल हमारे आस-पास निर्मिंत है उसमें आपको " गांधीजी " के तीन बंदरों की तरह ही व्यवहार करना है ! ना आपको गलत के खिलाफ बोलना है , गलत होते हुए यदि देख रहे हो तो अपनी आँखे बंद कर लो , कभी भी अपने जमीर की आवाज को ना सुनें ! आज ऐसा हो रहा है ! आज एक आम इंसान इतना डरा हुआ है , उसे समझ नहीं आता कि , क्या सही है और क्या गलत ! हो सकता है मैं जिस बात को अपने मन की बात कह रहा हूँ , हो सकता है वो सरकार की नजर में गुनाह हो !
मैं भी एक आम आदमी हूँ और अब मुझे भी डर लगने लगा है ! क्या आपको भी ..?

धन्यवाद   

13 comments:

  1. सार्थक आलेख, सोचने को बाध्य करता हुआ!

    ReplyDelete
  2. अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता का यह अर्थ नहीं है कि किसी की मृत्‍यु पर उसे भला-बुरा कह आएं या किसी के विवाह में उसे मरने का अभिशाप दे आएं। समय और स्‍थान दोनों ही देखने पडते हैं।

    ReplyDelete
  3. सार्थक अभिव्यक्ति सोचने के लिए बाध्य करती पोस्ट,,,,


    recent post : प्यार न भूले,,,

    ReplyDelete
  4. डर लगना ही चाहिये आम नागरिक को।

    ReplyDelete
  5. bahut sahi kaha aapne sanjay jee...

    ReplyDelete

  6. मैं एक आम आदमी हूँ और अब मुझे डर लगने लगा है ! क्या आपको भी … ?

    हां , सही कहा ! …लेकिन हमें इस डर से निकलना होगा
    प्रिय बंधुवर संजय कुमार चौरसिया जी !

    आज तक किसी भी बड़े नेता को या फिर किसी रसूखदार को उसके गलत बयान या गलत हरकत के लिए हवालात के अन्दर क्यों नहीं डाला गया ?
    सवाल बहुत सारे हैं …
    जवाब हमें ही तलाशने हैं …
    भारत के मूल नागरिकों को अधिकारपूर्वक आगे आने की आवश्यकता है …


    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete