Saturday, March 26, 2011

किसान , किसान नहीं हमारा भगवान् है ......>>> संजय कुमार

बर्षों से हम लोग यही कहते आ रहे हैं , यही सुनते आ रहे हैं, जीवन निकल गया किताबों में पढ़ते-पढ़ते कि, भारत एक कृषि प्रधान देश है ! यह देश किसानों का देश है ! इस देश के किसान भारत की जान हैं , शान हैं, और ना जाने कितनी तरह की बातें करते हैं और सुनते हैं ! किन्तु आज इस देश में जो स्थिति किसानों की है वह किसी से छुपी नहीं है ! गरीब , लाचार , दुखी -पीड़ित और हर तरफ से मजबूर ! आज हम लोग एक बर्ष में ना जाने कितने तरह के दिवस मनाते हैं , हमें खुद को पता नहीं होता ! विश्व भर के समाचार पत्र, टेलीविजन , अखबार भरे पड़े रहते हैं ऐसी ख़बरों से, कहीं इसका जन्मदिन कहीं उसकी पुण्यतिथि, ये घोटाला , वो भ्रष्टाचार , करोड़ों की शादी , अरबों का टैक्स , आरक्षण , मंहगाई , संसद , क्रिकेट , सास-बहु के सीरियल और ना जाने क्या क्या ! हर दिन बस ऐसी ही ख़बरों में दिन निकल जाता जाता है ! पर इस देश में पीड़ितों की सुनने वाला कोई नहीं हैं ! फिर चाहे गरीब , मजबूर और लाचार ही क्यों ना हों , हाँ पीड़ितों और गरीबों का हक खाने वालों की कोई कमी नहीं है हमारे देश में ! हम लोग हर स्थिति से वाकिफ हैं ! शायद हम बहुत कुछ देखना नहीं चाहते या हम सब कहीं ना कहीं सब कुछ जानकर भी अंजान हैं ! देश के लिए, देश के लोगों के लिए कड़ी मेहनत कर अन्न उत्पन्न करने वाला किसान आज अन्न के दाने - दाने तक को मोहताज है ! कुछ राज्यों के किसानों को छोड़ दिया जाए जिनकी स्थिति बहुत अच्छी है ! किन्तु देश में ऐसे किसानों की संख्या बहुत अधिक है जिनकी स्थति बहुत खराब एवं दयनीय है ! आज किसान हर तरफ से दुखी है ! आज का किसान कर्ज में पैदा होता है और कर्ज में ही मर जाता है ! आज कहीं सूखा पड़ने से किसान मर रहा है तो कहीं ज्यादा बारिस किसान को बर्बाद कर रही रही है ! कभी बाढ़ , कभी ओलावृष्टि किसानों को खुदखुशी करने पर मजबूर करती है ! कहीं अत्यधिक कर्ज किसानों की जान ले रहा है ! हम जो जीवन जीते हैं , हम जिस चकाचौंध भरे माहौल में रहते हैं , उस तरह का जीवन जीने की , किसान सिर्फ कल्पना ही कर सकता है ! हमारी सरकार किसानों के लिए कितना कर रही है ! सरकार की ढेर सारी योजनाओं का कितना फायदा किसानों को मिलता है ! ये बात हम सब से छुपी नहीं है ! जहाँ किसान एक -एक पैसे के लिए दर दर भटक रहा है, वहीँ इस देश में कुछ नेता अपनी प्रतिमा लगवाने में पैसे का दुरूपयोग कर रहे हैं ! गरीब किसानों के समक्ष करोड़ों की मालाएं मुख्यमंत्री को भेंट स्वरुप दी जाती हैं और दूसरी तरफ गरीबी से तंग आकर किसान आत्महत्या कर रहा है ! कहीं कोई नेता सिर्फ नाम के लिए अरबों रूपए शादी के नाम पर खर्च कर रहा है ! कहीं कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा है तो कोई कालाधन बापस लाने के लिए सरकार पर दबाव डाल रहा है ! सिर्फ एक दुसरे की टांग खिचाई में ही लगे हुए हैं ! तो कहीं मंहगाई से आम आदमी का जीना दुशवार हो गया है ! एक तरफ देश के कई मंत्री मंहगाई भत्ता , और अपने फायदे केलिए कितने तरह के विधेयक संसद में पास करवा लेते हैं ! इसके बिपरीत किसान अपनी फसलों का उचित मूल्य भी नहीं प्राप्त कर पाते पाते, उन्हें अपनी फसलों के उचित मूल्य के लिए भी सरकार के सामने अपनी एडियाँ तक रगढ़नी पड़ती हैं ! वहीँ राजनेता मंहगाई बढ़ा - चढ़ा कर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं और इसका जिम्मेदार किसान को ठहराते हैं ! इतनी दयनीय स्थिति होने के बावजूद हमारी सरकार कहती हैं कि, आज का किसान खुश है ! जब हम लोग अच्छा कार्य करने पर और लोगों को पुरुष्कृत करते हैं , तो फिर जो किसान हर दिन - रात , सर्दी - गर्मी , कड़ी धुप में मेहनत करके हम सभी की जरूरत को पूरा करते हैं तो हम उनको पुरुष्कृत क्यों नहीं करते ? हम उनके लिए क्या करते हैं ? सच तो ये है जब सरकार और सरकार के अन्य संगठन किसानों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे है तो हम भी क्या कर सकते हैं ? हमें " शास्त्री जी " का यह नारा बदल देना चाहिए " जय जवान - जय किसान " आज हम जवानों की जय तो करते हैं किन्तु किसानों की जय नहीं , क्योंकि आज किसानों की जय नहीं पराजय हो रही है ! इस देश में आज सब कुछ चल रहा है किन्तु किसान नहीं .............

खुद भूखा रहकर हम लोगों की भूख मिटाने वाला किसान , किसान नहीं हमारा भगवान है ! किसानों को भी एक अच्छी जिंदगी जीने का हक है ! देश के समस्त किसानों को मेरा शत - शत नमन !

धन्यवाद

14 comments:

  1. सही कहा है आपने पेट भरने के लिए अन्न तो किसान ही उगता है | धन्यवाद|

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  2. किसानों का प्राधान्य समाप्त हो चुका है, आज किसान भी हिस्सा हो गया है अर्थव्यवस्था का, कहीं त्यक्त सा।

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  3. संजय कुमार जी ,
    आपने बहुत महत्वपूर्ण लेख लिखा है
    देश में ऐसे किसानों की संख्या बहुत अधिक है जिनकी स्थति बहुत खराब एवं दयनीय है
    किसानों को भी एक अच्छी जिंदगी जीने का हक है
    ....सच में विचारणीय हैं सटीक लेख
    ......वाह भाई अच्छा लिखा है आप ने

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  4. अत्यंत तथ्यपरक एवं सारगर्भित लेख के लिये बहुत बहुत आभार !

    किसानों को मेरा भी शत - शत नमन !

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  5. पहले हम यह पढ़ते थे भारत एक कृषि प्रधान देश है आज किसान की हालत क्या है ? यह हमारा दुर्भाग्य है की वह किसान आत्महत्या करता है जिस के कारण हम जीवित है

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  6. सभी के बात से मैं सहमत हू आज का भारत किसानो का नहीं रहा मशीनों का रह गया है ! संजय भाई मस्त लिखा है आपने मैं अभय MY HINDI FORUM से आपको सायद याद हो !

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  7. किसानों को भी एक अच्छी जिंदगी जीने का हक है ! ...

    सच कहा आपने.
    सारगर्भित लेख के लिये बहुत बहुत आभार !

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  8. आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी

    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-

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  9. भाई संजय जी ,
    बहुत ही सार्थक लेख है आपका ....
    सारी विपदा किसान पर जबकि वह अन्नदाता है |

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  10. बहुत ही सार्थक सोच.
    नमन किसान को.

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  11. sarthak prastuti -
    kisano ke liye sunder soch liye hue .

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  12. bahut sundar post ..कल आपकी यह पोस्ट चर्चामंच पर होगी... आप वह आ कर अपने विचारों से अनुग्रहित करियेगा ... सादर
    चर्चामंच

    मेरे ब्लॉग में भी आपका स्वागत है - अमृतरस ब्लॉग

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  13. जय जवान - जय किसान-hamesha yahi goonjta rahe nara ....sateek mudda uthhaya hai aapne .

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  14. Bahut saarthak soch... badhiya vichaar fir is baar..

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